बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, सपा और भाजपा की राजनीति और सोच जातिवादी व साम्प्रदायिक

मायावती इस ट्वीट के दूसरे भाग में कहा, ‘सपा व भाजपा की राजनीति एक-दूसरे के पोषक व पूरक रही है. इन दोनों पार्टियों की सोच जातिवादी व साम्प्रदायिक होने के कारण इनका आस्तित्व एक-दूसरे पर आधारित रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 1, 2021 4:51 PM
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Lucknow News : बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को दिए अपने एक बयान में कहा कि सपा और भाजपा दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं. दरअसल, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने रविवार को अपने एक कार्यक्रम में सरदार पटेल, महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना को लेकर एक टिप्पणी कर दी थी. उसके बाद से प्रदेश के होने वाले विधानसभा चुनाव में जिन्ना का जिन्न जिंदा हो गया है.

सोमवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतरत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा था कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू और जिन्ना एक ही संस्था से पढ़कर निकले. बैरिस्टर बने और उन्होंने आजादी दिलाई. यह भी कहा कि आजादी के लिए हर तरह का संघर्ष किया. भाजपा के लोग वाकई पटेल जी को मानते हैं तो तीनों कृषि कानून रद करें. इस दौरान सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा सरकार साढ़े चार साल में अपने शिलान्यास किए हुए एक भी काम का उद्घाटन नहीं कर पाई है.

अखिलेश का यह बयान भाजपा नेताओं को चुभ सा गया. चुनावी माहौल में जिन्ना का जिन्न जिंदा हो गया. देखते ही चारों ओर से प्रतिक्रियाएं मिलने लगीं. इसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बयान दे दिया कि सीएम योगी ने कहा कि इस चुनाव में लोग जिन्ना से सरदार वल्लभ भाई पटेल की तुलना करना शर्मनाक है. जो ऐसा कर रहे हैं उन्हें जनता इस चुनाव में सबक सिखाएगी.

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इसी क्रम में बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी ट्वीट करके एक बयान दिया, ‘सपा मुखिया द्वारा जिन्ना को लेकर कल हरदोई में दिया गया बयान व उसे लपक कर भाजपा की प्रतिक्रिया यह इन दोनों पार्टियों की अंदरूनी मिलीभगत व इनकी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है ताकि यहां यूपी विधानसभा चुनाव में माहौल को किसी भी प्रकार से हिंदू-मुस्लिम करके खराब किया जाए.’ उन्होंने इस ट्वीट के दूसरे भाग में कहा, ‘सपा व भाजपा की राजनीति एक-दूसरे के पोषक व पूरक रही है. इन दोनों पार्टियों की सोच जातिवादी व साम्प्रदायिक होने के कारण इनका आस्तित्व एक-दूसरे पर आधारित रहा है. इसी कारण सपा जब सत्ता में होती है तो भाजपा मजबूत होती है जबकि बीएसपी जब सत्ता में रहती है तो भाजपा कमजोर.’

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