समय से अस्पताल पहुंचने का मिला लाभ
लड़की के माता-पिता शाम 5:30 बजे तक एपेक्स ट्रामा सेंटर लेकर पहुंच गये. यहां प्लास्टिक सर्जरी और एनेस्थीसिया के डॉक्टर की टीम ने मरीज और उसके कटे हुए दाहिने हाथ की बारीकी से जांच की. जरूरी जांचों के बाद तुरंत ही उसे आपरेशन थियेटर में शिफ्ट कर दिया गया. कटे हुए हाथ की ऑपरेशन थियेटर में लाकर सफाई की गयी. इसके बाद कटे हाथ को जोड़ने की तैयारी शुरू की गयी.
48 घंटों तक आईसीयू में डॉक्टरों ने की निगरानी
सर्जरी के बाद बच्ची के कटे हुए हाथ ही नियमित निगरानी की गयी. 48 घंटों तक उसको आईसीयू में भर्ती कर प्रतिदिन उसकी ड्रेसिंग की गयी. अन्य जरूरी इंजेक्शन व दवाएं दी गयीं. कटे हुए हाथ में पूर्ण रूप से रक्त प्रवाह आने के बाद बच्ची को पीएम एसएसवाई में शिफ्ट कर दिया गया. कुछ दिनों बाद उसकी छुट्टी कर दी गई. बच्ची के हाथ को जोड़ने में प्लास्टिक सर्जरी विभाग (Plastic Surgery) के डॉक्टर व बेहोशी (Anaesthesia) के डाक्टर शमिल थे. यह जटिल आपरेशन चार घंटे चला.
माइक्रोवस्कुलर तकनीक से किया आपरेशन
प्लास्टिक सर्जन डॉ. अंकुर भटनागर की टीम ने माइक्रोवस्कुलर (Micro Vascular Surgery) तकनीक से यह आपरेशन किया. हाथ कटने के कारण काफी मात्रा में खून बह गया था. इसलिये बच्ची को 3 यूनिट रक्त भी चढ़ाया गया. आपरेशन करने वाली टीम में प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ अनुपमा सिंह, डॉ राजीव भारती, सीनियर रेजिडेंट डा तंजूम कांबोज,डा भूपेश गोगिया,डा गौतम , आर्थो के डा केशव ,डा सिद्धार्थ, ट्रामा के एनेस्थीसिया और इंटेंसिव केयर टीम के प्रतीक,डॉ वंश, डॉ रफत, डॉ सुरुचि, सहित ओटी टीम और आईसीयू के रेजिडेंट स्टाफ थे .
शरीर का कोई अंग कट जाए तो तुरंत करें यह काम
प्लास्टिक सर्जन डॉ.अंकुर भटनागर का कहना है कि सबसे पहले कटे हुए भाग को किसी साफ कपड़े में रखकर तुरंत बर्फीले पानी में रखें. कटे हुए भाग पर साफ कपड़ा बांध दे अथवा ड्रेसिंग कर दें. जहां पर रिप्लांटेशन (Replantation) की सुविधा उपलब्ध है उस अस्पताल में बिना किसी देरी के जाएं. डॉ भटनागर का कहना है कि कटे हुए अंग को जोड़ने का गोल्डन पीरिएड 6-8 घंटे का होता है. इस दौरान उपचार मिलने पर परिणाम अच्छा होता है. ऐसे मामलों में देरी नहीं करनी चाहिये.