Electricity Privatization Protest: पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के खिलाफ पूरे प्रदेश में चल रहे विरोध के बीच अब यह आंदोलन एक बड़े मोड़ पर पहुंच गया है. इसी कड़ी में 22 जून को लखनऊ के आशियाना स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया लॉ यूनिवर्सिटी परिसर में स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रेक्षागृह में एक बिजली महापंचायत आयोजित की जा रही है. दोपहर 12 बजे से शुरू होने वाली इस महापंचायत में प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर के विभिन्न संगठनों और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी रहेगी.
ट्रेड यूनियन और किसान संगठनों की देशभर से जुटान
महापंचायत को राष्ट्रीय स्तर पर एक व्यापक आंदोलन का रूप देने के लिए देश की प्रमुख ट्रेड यूनियनें, संयुक्त किसान मंच, और अन्य जनसंगठन एक मंच पर आ रहे हैं. इस पंचायत में बिजली कर्मचारियों के साथ-साथ किसानों, मजदूरों, बुद्धिजीवियों, अधिवक्ताओं, शिक्षकों और आम नागरिकों की बड़ी भागीदारी तय की गई है. आयोजन का उद्देश्य न केवल निजीकरण का विरोध करना है, बल्कि इसे लेकर एक साझा रणनीति तैयार करना है जिससे कि आम जनता को होने वाले नुकसान को रोका जा सके.
ऊर्जा विभाग के उच्च अधिकारियों को भेजा गया निमंत्रण
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया है कि महापंचायत में ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा, ऊर्जा राज्य मंत्री सोमेन्द्र तोमर, अपर मुख्य सचिव ऊर्जा नरेन्द्र भूषण, पॉवर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन आशीष गोयल, और प्रबंध निदेशक पंकज कुमार को विशेष आमंत्रण भेजा गया है। इन अधिकारियों की उपस्थिति से न केवल उनकी जवाबदेही तय होगी, बल्कि जनता के बीच यह संदेश भी जाएगा कि सरकार इस गंभीर मुद्दे पर संवाद के लिए तैयार है या नहीं.
महापंचायत में होगा निजीकरण में हो रहे भ्रष्टाचार का खुलासा
बिजली निजीकरण को लेकर चल रहे विरोध का एक बड़ा कारण इसमें छिपा भ्रष्टाचार भी है. महापंचायत के दौरान वक्ता इस बात का खुलासा करेंगे कि किस तरह निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी ढांचे को कमजोर किया जा रहा है. यह भी बताया जाएगा कि बिजली के निजीकरण के पीछे सिर्फ मुनाफा कमाने की लालसा है, न कि सेवा को बेहतर बनाने की मंशा. बिजली जैसे मूलभूत सेवा क्षेत्र में यदि निजी हाथों का हस्तक्षेप बढ़ा, तो उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और पारदर्शिता खत्म हो जाएगी.
बनेगी जनआंदोलन की रणनीति, तय होगी भूमिका
महापंचायत का एक अहम एजेंडा यह भी रहेगा कि बिजली निजीकरण के खिलाफ किस प्रकार एक सशक्त जनआंदोलन खड़ा किया जाए. इसमें यह तय किया जाएगा कि आंदोलन में किसानों, मजदूरों, घरेलू उपभोक्ताओं और समाज के हर वर्ग की भागीदारी किस तरह सुनिश्चित की जाए. रणनीति इस तरह बनेगी कि यह आंदोलन केवल बिजली कर्मचारियों तक सीमित न रहे, बल्कि एक राज्यव्यापी और देशव्यापी जनांदोलन के रूप में स्थापित हो.
इन प्रमुख हस्तियों की रहेगी अहम भागीदारी
इस महापंचायत में विभिन्न क्षेत्रों की नामचीन हस्तियां हिस्सा लेंगी. इनमें विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्र, संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल, ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल पी. रत्नाकर राव, और ऑल इंडिया पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आर.के. त्रिवेदी प्रमुख हैं. इनके अलावा बैंक कर्मचारी यूनियन, राज्य कर्मचारी संघ, शिक्षक संघ और अन्य ट्रेड यूनियन प्रतिनिधि भी पंचायत को संबोधित करेंगे. इनकी मौजूदगी इस आंदोलन को एक नई मजबूती और दिशा देगी.
बिजली के मुद्दे पर पहली बार इतने व्यापक स्वर
यह महापंचायत केवल एक विरोध सभा नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जहां आम जनता, कर्मचारी, किसान और बुद्धिजीवी एक साथ मिलकर निजीकरण के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे. आयोजन समिति का कहना है कि यह पहली बार है जब बिजली जैसे तकनीकी और प्रशासनिक मुद्दे पर इतना व्यापक जनसंकल्प देखने को मिलेगा. इसका असर आने वाले समय में प्रदेश और देश की नीतियों पर पड़ सकता है.
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