Govardhan Puja 2023 : भयौ भात कौ कोट , ओट गिरिराज ढकानौ , अदभुत है ब्रज की अन्नकूट परम्परा

धनतेरस से शुरू हुआ दिवाली का पांच दिवसीय त्योहार में मंगलवार को गोवर्धन पूजा हिंदू घरों में अत्यधिक उत्साह के साथ मनाई जा रही है. विशेष रूप से भगवान कृष्ण के अनुयायी जिन्हें गोवर्धन धारी के नाम से भी जाना जाता है. इसे भक्तगण अन्नकूट पूजा भी कहते हैं.

By अनुज शर्मा | November 14, 2023 4:03 PM
an image

लखनऊ. धनतेरस से शुरू हुआ दिवाली का पांच दिवसीय त्योहार में मंगलवार को गोवर्धन पूजा हिंदू घरों में अत्यधिक उत्साह के साथ मनाई जा रही है. विशेष रूप से भगवान कृष्ण के अनुयायी जिन्हें गोवर्धन धारी के नाम से भी जाना जाता है. इसे भक्तगण अन्नकूट पूजा भी कहते हैं. ब्रज के देवालयों में भगवान को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद को परंपरागत नियमों से बनाया जाता है. छप्पन भोग में सकड़ी – अंसकडी रसोई के अनुसार अनेक व्यंजन बनाए जाते हैं ,जैसे:-लड्डू ,चूरमा, गूंजा, मालपुआ, दहीबड़ा, रसपपंची,सौंठ, बाँसोंदी, सिखरन,आलू ,रत्तालू एवं सकरपारा आदि. ब्रज संस्कृति शोध संस्थान वृन्दावन के प्रकाशन अधिकारी गोपाल शरण शर्मा बताते हैं कि अन्नकूट का अर्थ है अन्न का पर्वत ब्रज में गोवर्धन पूजा के अवसर पर कितने ही प्रकार की भोग सामग्री तैयार होती हैं कि अन्न का एक पर्वत जैसा ही निर्मित हो जाता है ! अष्टछाप के भक्तकवि कवि अपने ब्रजभाषा काव्य में कहते हैं . ‘ भयौ भात कौ कोट , ओट गिरिराज ढकानौ ‘ यानी कि केवल भात ‘चावलों ‘ का ही इतना बड़ा कोट (बड़ा ढ़ेर ) था कि जिस में गिरिराज पर्वत ही ढ़क (छुप) गया . इंद्र का मान भंग करने के लिए नटवर नागर श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को धारण किए रखा. सात दिनों तक भूखे प्यासे श्री कृष्ण को ब्रज वासियों ने आठवें दिन अपनी भावना के अनुसार छप्पन प्रकार के पकवान बनाकर भोग लगाया, तबसे अन्नकूट और छप्पन भोग की परंपरा अनवरत चली आ रही है.

ब्रज संस्कृति शोध संस्थान वृन्दावन के प्रकाशन अधिकारी गोपाल शरण शर्मा बताते हैं ब्रज के देवालयों में दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा व अन्नकूट का आयोजन किया जाता है. भगवान को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद को परंपरागत नियमों से बनाया जाता है.ृ छप्पन भोग में सकड़ी – अंसकडी रसोई के अनुसार अनेक व्यंजन बनाए जाते हैं . जैसे:-लड्डू ,चूरमा, गूंजा, मालपुआ, दहीबड़ा, रसपपंची,सौंठ, बाँसोंदी, सिखरन,आलू ,रत्तालू एवं सकरपारा आदि. वह बताते हैं कि महंगाई के चलते अथवा नए प्रयोगों के आधार पर अब छप्पन भोग में नए व्यंजनों का समावेश देखने को मिलता है, जैसे चिड़िया समोसा, मिनी कचौड़ी, डोडा बर्फी, गुलाब जामुन, मावा चमचम आदि। यह व्यंजन पारंपरिक पकवानों से हटकर बनाए जा रहे हैं.

महंगाई और नए प्रयोगों के कारण अब छप्पन भोग में चिड़िया समोसा, मिनी कचौड़ी, डोडा बर्फी, गुलाब जामुन, मावा चमचम जैसे नए व्यंजनों का समावेश किया जा रहा है.

ब्रजमंडल में जब ठाकुर जी को छप्पन भोग आरोगा जाता है तब ब्रजवासी रसिकजन छप्पन भोग के पदों का गायन करते हैं। ब्रजभाषा और वाणी साहित्य में अन्नकूट के छप्पन भोग का अद्वितीय वर्णन किया गया है. अष्टछाप साहित्य से लेकर ब्रज के प्रमुख संप्रदायों के वाणी साहित्य में इन पदों की रचना हुई है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version