डीजीपी के पद के लिए प्रशांत कुमार के अलावा डीजी सीबीसीआईडी आनंद कुमार, डीजी कारागार एसएन साबत, डीजी भर्ती बोर्ड रेणुका मिश्रा का नाम भी चल रहा था. लेकिन बाजी प्रशांत कुमार के नाम रही. डीजीपी विजय कुमार के अलावा डीजी मानवाधिकार एसके माथुर भी 31 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं. नए डीजीपी के साथ ही डीजी मानवाधिकारी और डीजी विजिलेंस भी तैनाती होनी है. आईपीएस विजय कुमार के पास डीजी विजिलेंस का भी प्रभार था.
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अखिलेश यादव ने किया कटाक्ष
उधर इस मामले में सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर टिप्पणी कर दी है. उन्होंने लिखा है कि लगता है एक बार फिर उत्तर प्रदेश को कार्यवाहक डीजीपी मिलनेवाला है. जनता पूछ रही है कि हर बार कार्यवाहक डीजीपी बनाने का खेल दिल्ली-लखनऊ के झगड़े की वजह से हो रहा है या फिर अपराधियों के संग सत्ता की सांठगांठ के कारण.
1990 बैच के आईपीएस हैं प्रशांत कुमार
प्रशांत कुमार 1990 बैच के आईपीएस हैं. 300 से अधिक एनकाउंटर का उनके नाम रिकार्ड है. यूपी सरकार के क्राइम कंट्रोल में उनकी विशेष भूमिका रही है. सितंबर 2023 में एडीजी से डीजी के बाद पर उनका प्रोमोशन हुआ था. अब वह डीजीपी बना दिए गए हैं. माना जा रहा है कि यदि चुनाव आयोग ने उन्हें नहीं हटाया तो लोकसभा चुनाव में कानून व्यवस्था कंट्रोल करने की जिम्मेदारी वहीं संभालेंगे. बताया जा रहा है कि प्रशांत कुमार वरिष्ठता सूची में काफी नीचे हैं. उनसे ऊपर 18 आईपीएस हैं. आईपीएस रेणुका मिश्रा 10वें, डीजी जेल एसएन साबत 12वें स्थान पर हैं. अन्य वरिष्ठ आईपीएस जैसे आदित्य मिश्रा, दलजीत सिंह चौधरी, शफी अहसान रिजवी, पीवी रामाशास्त्री केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं.
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