लखनऊ: डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Shyama Prasad Mukherjee) ने एक देश में एक प्रधान, एक विधान, एक निशान के मुद्दे और भारत की अखंडता को लेकर 23 जून 1953 को अपना बलिदान दिया था. देश 1947 में आजाद हुआ और 1950 में संविधान लागू किया गया. इसके बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश के संविधान में धारा-370 जोड़कर राष्ट्रीय अखंडता को गंभीर चोट पहुंचाने का कुत्सित प्रयास किया था. डॉ. मुखर्जी उस समय सरकार में उद्योग व खाद्य मंत्री थे. लेकिन सरकार की मंशा को ध्यान में रखकर उन्होंने पद छोड़ दिया. देश की प्रतिष्ठा व अखंडता के लिए कश्मीर से धारा-370 हटाने के लिए आंदोलन शुरू किया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर सिविल हॉस्पिटल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में कही.
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