मालूम हो कि 403 सदस्यीय विधानसभा में 18 विधायकों वाली बसपा ने पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के बावजूद पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक और बिहार इकाई के प्रभारी रामजी गौतम को राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है. उत्तर प्रदेश में एक राज्यसभा उम्मीदवार को जीतने के लिए 38 सदस्यों का समर्थन चाहिए.
उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के छह विधायकों ने बुधवार को बगावत कर दी. विधायकों ने पार्टी प्रत्याशी के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर किये गये अपने हस्ताक्षरों को फर्जी बताया. बसपा विधायक असलम राइनी, असलम चौधरी, मुज्तबा सिद्दीकी और हाकिम लाल बिंद ने रिटर्निंग अफसर को दिये गये शपथपत्र में कहा है कि राज्यसभा चुनाव के लिए बसपा के प्रत्याशी रामजी गौतम के नामांकन पत्र पर प्रस्तावक के तौर पर किये गये उनके हस्ताक्षर फर्जी हैं. इस दौरान उनके साथ विधायक सुषमा पटेल और हरिगोविंद भार्गव भी थे.
समाजवादी पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश बजाज का नामांकन अवैध पाया गया. इसके बाद उनका नामांकन पत्र निरस्त कर दिया गया. बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने कहा कि सपा समर्थित प्रत्याशी प्रकाश बजाज का नामांकन निर्धारित समयसीमा खत्म होने से महज दो मिनट पहले कराया गया, जो एक दलित को राज्यसभा पहुंचने से रोकने की साजिश थी. बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के मुताबिक, बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने कहा कि विधायकों की खरीद-फरोख्त सपा की पुरानी परंपरा है.
फर्जी हस्ताक्षर का शपथपत्र पीठासीन अधिकारी को देने के बाद सभी छह बागी बसपा विधायक सपा के राज्य मुख्यालय पहुंच कर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की. सपा के एक वरिष्ठ नेता ने ‘भाषा’ को बताया कि बसपा के सभी छह विधायकों ने सपा अध्यक्ष अखिलेश से मुलाकात की है. हालांकि, उन्होंने बातचीत का ब्योरा देने से मना कर दिया. उन्होंने दावा किया ”बसपा के साथ-साथ सत्तारूढ़ भाजपा के भी अनेक विधायक सपा के संपर्क में हैं और वे किसी भी वक्त पार्टी में शामिल हो सकते हैं.”
बगावत करनेवाले बसपा विधायक मुज्तबा सिद्दीकी ने कहा ”पार्टी में अब हमारा उनका कोई मान-सम्मान नहीं रह गया था और ना ही कोई सुनवाई हो रही थी. बसपा अध्यक्ष मायावती तो ठीक हैं, मगर पार्टी के को-आर्डिनेटर परेशान करते हैं, जिससे तंग आकर हमने यह कदम उठाया है.”