मीडिया से बात करते हुए एससीबीए के सचिव रोहित पांडे ने कहा कि हापुड बार की शुरुआती रिपोर्टों से संकेत मिला है कि पुलिस के लाठीचार्ज के कारण कई वकीलों को गंभीर चोटें आईं. पांडे ने कहा, “हमने यह जांचने के लिए एक प्रतिनिधि को हापुड भी भेजा है कि वास्तव में वहां क्या हुआ है. “सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के हापुड में अधिवक्ताओं पर पुलिस के अमानवीय और हिंसक कृत्यों की कड़ी निंदा करता है, जहां महिला वकीलों के साथ भी पुलिस ने क्रूरता बरती. वकीलों पर लाठीचार्ज किया जबकि वह कथित उत्पीड़न के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया, ”पुलिस की लापरवाही, उनके अधिकारों और कानून के शासन का स्पष्ट उल्लंघन है”.
एससीबीए ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि महिला वकीलों को “पुलिस क्रूरता” का शिकार होना पड़ा. इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी वकीलों के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया. हापुड पुलिस के एक सिपाही द्वारा एक वकील के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के बाद मंगलवार को हापुड जिला बार के सदस्यों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया. वकीलों ने दावा किया कि एफआईआर “झूठी” थी. खबरों के मुताबिक, विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप वकीलों और पुलिस कर्मियों के बीच झड़प हुई, जिसके बाद लाठीचार्ज हुआ, जिसमें 30 से अधिक वकील घायल हो गए.
एससीबीए ने अधिकारियों से घटना की जांच करने और दोषी पुलिस अधिकारियों को न्याय के कठघरे में लाने, लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की निंदा करने और घायल अधिवक्ताओं को मुआवजा देने की भी मांग की है. इसके अतिरिक्त, इसने उत्तर प्रदेश सरकार से “राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाने और यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया है कि पुलिस कर्मी अपने कार्यों के लिए जवाबदेह हों.”