KGMU में प्लाज्मा थेरेपी की प्रक्रिया शुरू, एक व्यक्ति के प्लाज्मा से दो मरीज होंगे ठीक, रोजा रख कर दिया रक्त का नमूना

लखनऊ : कोरोना वायरस से संक्रमण के कारण गंभीर रूप से बीमार मरीजों के उपचार के लिए किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में प्लाज्मा थेरेपी की प्रक्रिया शनिवार से शुरू हो गयी और केजीएमयू के रेजीडेंट डॉक्टर पहले ऐसे व्यक्ति होंगे, जो अस्पताल में इस कार्य के लिए अपना प्लाज्मा दान करेंगे. इस नेक काम के लिए उन्होंने शनिवार को रमजान के पहले दिन रोजा रख कर अपने रक्त का नमूना केजीएमयू को दिया. उनके रक्त की जांच ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में हो रही है. जांच के बाद सब कुछ ठीक पाये जाने पर डॉक्टर के शरीर से प्लाज्मा लिया जायेगा, जो कोरोना वायरस से संक्रमित कम-से-कम दो गंभीर मरीजों के इलाज में काम आयेगा.

By Kaushal Kishor | April 25, 2020 2:09 PM
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लखनऊ : कोरोना वायरस से संक्रमण के कारण गंभीर रूप से बीमार मरीजों के उपचार के लिए किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में प्लाज्मा थेरेपी की प्रक्रिया शनिवार से शुरू हो गयी और केजीएमयू के रेजीडेंट डॉक्टर पहले ऐसे व्यक्ति होंगे, जो अस्पताल में इस कार्य के लिए अपना प्लाज्मा दान करेंगे. इस नेक काम के लिए उन्होंने शनिवार को रमजान के पहले दिन रोजा रख कर अपने रक्त का नमूना केजीएमयू को दिया. उनके रक्त की जांच ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में हो रही है. जांच के बाद सब कुछ ठीक पाये जाने पर डॉक्टर के शरीर से प्लाज्मा लिया जायेगा, जो कोरोना वायरस से संक्रमित कम-से-कम दो गंभीर मरीजों के इलाज में काम आयेगा.

केजीएमयू की ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ तूलिका चंद्रा ने शनिवार को बताया, ”केजीएमयू में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर रोगियों के इलाज पर काम शनिवार से शुरू हो गया. इस सिलसिले में केजीएमयू के रेजीडेंट डॉक्टर के रक्त का नमूना लिया गया है. वह संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हो गये हैं. इस नमूने की जांच में हम उनके रक्त में एंटी-बाडीज की क्या स्थिति है, उसकी जांच करेंगे. उसके बाद हम उनके शरीर से 500 मिलीलीटर प्लाज्मा ‘प्लाज्मा फेरेसिस’ विधि से निकालेंगे. इस प्रकिया में करीब डेढ़ से दो घंटे का समय लगेगा. इसके बाद हम इस प्लाज्मा को स्टोर कर लेंगे.”

डॉक्टर के रक्त की जांच के बाद उनके रक्त से प्लाज्मा निकालने की प्रक्रिया रविवार को की जा सकती है. उन्होंने बताया, ”इस प्लाज्मा को हम स्टोर कर लेंगे और गंभीर मरीज को इस प्लाज्मा में से 200 मिलीलीटर प्लाज्मा चढ़ाया जायेगा. यानी, एक मरीज के प्लाज्मा से दो मरीजों को ठीक किया जा सकता है.” डॉ चंद्रा ने बताया कि अगर पहली बार 200 मिलीलीटर प्लाज्मा चढ़ाये जाने से मरीज में सकारात्मक परिणाम नहीं दिखता है, तो उसमें दोबारा 200 मिलीलीटर प्लाज्मा चढ़ाया जायेगा. केजीएमयू के डॉक्टर में एक संक्रमित मरीज के संपर्क में आने के बाद 17 मार्च को संक्रमण की पुष्टि हुई थी. वह सात अप्रैल को केजीएमयू से ठीक होकर अपने घर में 14 दिन के लिए पृथक-वास में रहे थे. अब वह एक बार फिर केजीएमयू में अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं.

डॉक्टर ने कहा, ”मुझसे कोविड-19 मरीजों की जांच कर रहे मेडिसिन विभाग के डॉ डी हिंमाशु ने पूछा कि क्या मैं प्लाज्मा दान करनेवाला पहला व्यक्ति बनना चाहूंगा. मैंने तुरंत हां कर दी, क्योंकि रमजान के पवित्र महीने में अगर मैं किसी मरीज की जान बचाने के काम आ सकूं, तो इससे बेहतर क्या होगा. मैंने शनिवार को अपना पहला रोजा रखने के दौरान अपना रक्त परीक्षण के लिए दे दिया.” डॉ हिमांशु ने बताया, ”डॉक्टर का रक्त परीक्षण के लिए ले लिया गया है. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की टीम शनिवार शाम या रविवार को उनका प्लाज्मा निकालेगी.” डॉ चंद्रा के मुताबिक प्लाज्मा निकालने के बाद इसे अन्य गंभीर मरीजों में इसे चढ़ाने की प्रक्रिया सोमवार या मंगलवार को शुरू हो सकती है.

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