वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बजट भाषण के दौरान ये शेर पढ़े
सुधर गई कानून-व्यवस्था उद्योगों की अलख जगी,
यूपी बना ग्रोध का इंजन, यह सब पहली दफा समझ
फकत किनारे बैठे बैठे हैं लहरों से मत सवाल कर
डूब के खुद गहरे पानी में पानी का फलसफा समझ
छालों से ही श्रृंगार पथिक का होता है
श्रम के जल से रहा सदा सिंचती है
गति मशाल आंधी में हंसती है
छालों से ही श्रृंगार पथिक का होता है
वो विपरीत परिस्थितियों में चलने के आदी हैं
मैं जिधर जाऊंगा रोशनी ले जाऊंगा
मंदिर की मांग लहू से ही सजती है
मंजिले लाख कठिन आएं
गुजर जाऊंगा हार के बैठूंगा तो मर जाऊंगा
लाख रोकें ये अंधेरे
मेरा रास्ता लेकिन मैं जिधर जाऊंगा रोशनी ले जाऊंगा
नियति से उड़ने का वरदान मिला
हमारे पंखों पर कौन विराम लगा सकता है
जब हमें नियति से उड़ने का वरदान मिला
अपनी नगरी में अंधेरा नहीं होने दूंगा
इस चमन को कभी सहरा नहीं होने दूंगा
मर मिटूंगा मगर ऐसा नहीं होने दूंगा
जब तलक भी मेरे पलकों पर दिए हैं रोशन
अपनी नगरी में अंधेरा नहीं होने दूंगा
हौसलों की दिखाई उड़ान
मैं पंछी तूफानों में राह बनाता
मेरा राजनीति से केवल इतना नाता
तुम मुझे रोकते हो अवरोध बिछाकर
मैं उसे हटाकर आगे बढ़ता जाता
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मोदी-योगी की तारीफ में पढ़े कसीदे
हमने तो समंदर के रुख बदले हैं
मोदी-योगी ने सोचने के सलीके बदले हैं
आप कहते थे कुछ नहीं होगा
हमने आपके भी सोचने के तरीके बदले हैं