Explainer: मैरिटल रेप क्या है? अपने पत्नी से दुष्कर्म करने पर किन देशों में है कितने साल की सजा, यहां जानें

Marital rape: आजकल सोशल मीडिया पर मैरिटल रेप के बारे में जमकर चर्चा हो रही है. हमारे देश में इसे अपराध की श्रेणी में रखने के लिए न्यायालय में सुनवाई भी चल रही है. मगर यहां हम यह जानेंगे की मैरिटल रेप क्या है. कितने देशों में अपराध की श्रेणी में रखा गया है. इस अपराध की सजा क्या है.

By Sandeep kumar | August 22, 2023 7:34 PM
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Marital rape: दुनिया के 185 देशों में से, 77 देशों में मैरिटल रेप पर कानून बना है. बाकि 108 देशों में से 74 देश ऐसे हैं जहां महिलाओं को रिपोर्ट दर्ज कराने का अधिकार है. जबकि भारत समेत 34 देश ऐसे हैं जहां पत्नी से रेप करने वाले पति को समाज के साथ कानून भी दोषी नहीं मानता है.

इंटीमेसी यानी अतरंगता पति-पत्नी के रिश्ते का अहम पहलू है, लेकिन अगर पति-पत्नी के बीच दुष्कर्म की बात कही जाए तो शायद कुछ लोग इसे मानने से इनकार करें, लेकिन मैरिटल रेप पर हमारे देश में आय दिन चर्चाएं हो रही हैं. मैरिटल रेप यानी जब पति पर अपनी ही पत्नी के दुष्कर्म के आरोप लगे. जब पति ही पत्नी का शारीरिक शोषण करे. अब आप कहेंगे कि पति-पत्नी के बीच तो शारीरिक संबंध होते ही है तो फिर ये दुष्कर्म कैसे हुआ.

क्या पति कर सकता है पत्नी का रेप?

मैरिटल रेप यानी जब पत्नी की मर्जी के खिलाफ जोर जबरदस्ती से पति शारीरिक संबंध बनाएं तो इसे दुष्कर्म की श्रेणी में रखा जाता है. अब जान लीजिए एक बार फिर क्यों इस बात पर बहस छिड़ी है. दरअसल लोकसभा में तीन बिल पेश किए गए थे, जिसमें महिला सुरक्षा और रेप को लेकर भी नए कानून थे. गृह मंत्री अमित शाह ने महिलाओं की सुरक्षा को अहम बताते हुए इन बिल को पेश किया था. इनमें रेप को लेकर कड़े कदम उठाए गए थे, लेकिन बावजूद इसके इन बिलों में मैरिटल रेप को लेकर कोई कानून नहीं लाया गया.

मैरिटल रेप पर क्या कहता है देश का कानून?

हमारे देश के मुख्य क्रिमिनल कोड आईपीसी का सेक्शन 375 रेप की व्याख्या करता है. इसका एक अपवाद (एक्सेप्शन 2) है जिसमें कहा गया है कि पति और पत्नी (जोकि 15 साल से अधिक की है) के बीच का शारीरिक संबंध क्रिमिनल नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे 18 साल कर दिया है. मतलब 18 साल से अधिक उम्र की शादीशुदा औरत से पति का जबरन संबंध बनाना रेप नहीं है.

इस तरह कानून ही शादीशुदा और गैर शादीशुदा औरतों में भेद करता है. इस लिहाज से यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है. अनुच्छेद 14 और 15 भेदभाव को प्रतिबंधित करते हैं और 21 जीवन और व्यक्तिगत आजादी के अधिकार की गारंटी देता है.

मैरिटल रेप को अपराध के श्रेणी में न रखना कहां तक उचित हैं?

दरअसल मैरिटल रेप को लेकर हमारे देश में दो मत हैं. एक वर्ग का मानना है कि मैरिटल रेप जैसे कानून के आने के बाद इसका गलत इस्तेमाल किया जाएगा, क्योंकि शादी से जैसे रिश्ते में ये तय करना कि कब रेप हुआ है और कब नहीं बेहद मुश्किल है. मैरिटल रेप के आरोपी को अपने आप को निर्दोष साबित करने में कठिनाई होगी. साथ ही कानून का ज्यादातर दुरुपयोग किया जाएगा.

सरकार भी लगातार इस कानून को न लाने के पक्ष में नजर आ रही है. साल 2017 में मैरिटल रेप को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था कि मैरिटल रेप को अपराध करार नहीं दिया जा सकता है और अगर ऐसा होता है तो इससे शादी जैसी पवित्र संस्था अस्थिर हो जाएगी. सरकार ने ये तर्क भी दिया था कि मैरिटल रेप पतियों को सताने के लिए आसान हथियार हो सकता है. अब एक बार फिर केन्द्र सरकार ने मैरिटल रेप मामले पर कोई कानून न लाकर अपनी मंशा साफ कर दी है कि वो मैरिटल रेप को जुर्म मानने को तैयार नहीं हैं.

वहीं महिला संगठन इसे महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जरूरी मानते हैं. उनका मानना है कि ‘मैरिटल रेप’ स्त्री-पुरुष के बीच एक मनोविकार है. जीवन में संतुष्टि का आनंद तभी मिलता है जब स्त्री और पुरुष के बीच सहमति होती है. लेकिन असहमति में तमाम विद्वेष और विकारों को जन्म देती है. इस तरह की हरकत से स्त्री की निगाह में पुरुष गिर जाता है.

उस स्त्री की नजरों में देवता बना पति दानव बन जाता है. पुरुष को इस तरह के हालात से बचना चाहिए. वैवाहिक संस्था का यह शर्मनाक पहलू है. जब यौन संतुष्टि यौन हिंसा में बदल जाए तो स्त्री-पुरुष संबंध अच्छे नहीं हो सकते. सफल वैवाहिक जीवन में यौन हिंसा का कहीं स्थान नहीं होना चाहिए. यौन हिंसा ही तलाक और दूसरे मुद्दों का कारण बनती है.

मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखने वाले देश

  • संयुक्त राज्य अमेरिका- वर्ष 1993 में अमेरिका के सभी 50 राज्यों में मैरिटल रेप को अपराध घोषित कर दिया गया था, लेकिन कानून अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हैं.

  • यूनाइटेड किंगडम- ब्रिटेन में भी मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया गया है और दोषी पाए जाने वालों को आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है.

  • दक्षिण अफ्रीका- दक्षिण अफ्रीका में वर्ष 1993 से मैरिटल रेप अवैध है.

  • कनाडा- कनाडा में मैरिटल रेप दंडनीय है.

  • इंडोनेशिया- वर्ष 1985 में मैरिटल रेप के आरोपी को अधिकतम 20 वर्ष कारावास की सज़ा के साथ मान्यता दी गई थी.

मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने वाले देश.

भारत, घाना, जॉर्डन, लेसोथो, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर और तंजानिया स्पष्ट रूप से किसी महिला या लड़की के साथ उसके पति द्वारा किया गया दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी से बाहर रखते हैं.

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