आरक्षण और पारदर्शिता पर उठते सवाल
मायावती ने राज्य सरकार से सवाल किया कि क्या इस भर्ती प्रक्रिया में सर्वसमाज को उसका उचित हक मिला? क्या आरक्षण के नियमों का पूरी तरह पालन हुआ? और इन नवचयनित आरक्षियों की ट्रेनिंग व्यवस्था पारदर्शी और निष्पक्ष होगी या नहीं, यह आम जनता की बड़ी चिंता है.
बसपा सरकार में की गई थी ईमानदार और रिकॉर्डतोड़ भर्ती
उन्होंने अपनी सरकार के कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि जब उत्तर प्रदेश में बीएसपी की सरकार थी, तब राज्य में एकमुश्त 1.20 लाख पुलिस पदों का सृजन कर ईमानदार और निष्पक्ष पुलिस भर्ती की गई थी. उस समय “कानून द्वारा कानून का राज” स्थापित कर हर वर्ग को सुरक्षा का समान अधिकार दिया गया था.
“उस समय जो शांति, निष्पक्षता और कानून का डर था, वह अब कहीं दिखाई नहीं देता. पुलिस व्यवस्था में भी अब भेदभाव और प्रचार अधिक है, ईमानदारी कम.” — मायावती
पुलिस भर्ती को लेकर अब भरोसा कमजोर
मायावती का यह बयान यूपी सरकार पर सीधे निशाना है, जो खुद को पारदर्शी और युवा हितैषी बताने की कोशिश कर रही है. उनका कहना है कि जब तक भर्ती की पूरी प्रक्रिया में संविधानिक मूल्यों और आरक्षण की शुद्धता नहीं होगी, तब तक सामान्य जनता का भरोसा नहीं बन पाएगा.
बसपा प्रमुख ने पुलिस भर्ती को राजनीतिक प्रचार का माध्यम बनाने के बजाय, उसे ईमानदारी और सामाजिक न्याय का आधार बनाने की सलाह दी है. साथ ही उन्होंने राज्य सरकार को यह भी याद दिलाया कि सिर्फ नियुक्ति से नहीं, प्रशिक्षण, कार्यशैली और निष्पक्षता से ही कानून व्यवस्था मजबूत होती है.