आरामबाग में रोमांचक मुकाबले की उम्मीद

कभी लाल दुर्ग के नाम से जाना जाता था यह संसदीय क्षेत्र, इस बार त्रिकोणीय है लड़ाई

By Prabhat Khabar News Desk | May 15, 2024 9:48 PM
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कभी लाल दुर्ग के नाम से जाना जाता था यह संसदीय क्षेत्र, इस बार त्रिकोणीय है लड़ाई

आरामबाग कभी लाल दुर्ग के नाम से जाना जाता था. कानून-व्यवस्था की वजहों के कारण यह क्षेत्र लंबे अरसे तक सुर्खियों में रहा है. तृणमूल ने यहां इंडी गठबंधन के बदले अकेले लड़ने का फैसला किया है. लिहाजा यहां त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है. तृणमूल कांग्रेस ने भले ही यहां 2014 और 2019 का चुनाव जीता हो लेकिन पार्टी के वोट शेयर में लगातार गिरावट से यहां अत्यंत रोमांचक मुकाबले की उम्मीद की जा रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल उम्मीदवार अपरूपा पोद्दार ने 54.94 फीसदी वोट हासिल कर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी माकपा के शक्ति मोहन मलिक को 3,46,845 वोटों से हराया था. 2019 के लोकसभा चुनाव में अपरुपा पोद्दार को 44.14 फीसदी वोट मिले. भाजपा के तपन कुमार रॉय ने कड़ा मुकाबला किया. तृणमूल की जीत का अंतर महज 1142 वोट रह गया. अपरुपा पोद्दार के हाथों इस सीट को जोखिम में डालने की बजाय तृणमूल दो बार की सांसद अपरुपा के बदले हुगली जिला परिषद सदस्य मिताली बाग को टिकट दिया है. भाजपा का दावा है कि मौजूदा सांसद को टिकट न देकर तृणमूल ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी में सबकुछ सही नहीं है. मिताली बाग का यह पहला लोकसभा चुनाव है. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने भाजपा के इस लोकसभा क्षेत्र की अवहेलना के आरोपों का जमकर मुकाबला किया है. मिताली का दावा है कि आरामबाग की महिलाओं और युवाओं को राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं से काफी लाभ मिला है. भाजपा इस सीट से काफी आशावादी है. भाजपा का वोट शेयर यहां से लगातार बढ़ा है. 2014 में पार्टी का वोट प्रतिशत 11.63 फीसदी था. 2019 के चुनाव में यह बढ़कर 44.06 फीसदी हो गया. शायद इसलिए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 का बंगाल से चुनाव प्रचार अभियान आरामबाग से शुरू किया और गत एक मार्च को उन्होंने पहली सभा की. उन्होंने ममता बनर्जी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने राज्य के लोगों को धोखा दिया है. भाजपा उम्मीदवार अरुप कांति दिगर भी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने अपने चुनाव प्रचार में किसानों की समस्या और लगातार आ रही बाढ़ को मुद्दा बनाया है. उन्होंने राज्य की तृणमूल सरकार पर केंद्रीय फंड का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने पंचायतों पर केंद्रीय फंड को जारी न करने का आरोप भी लगाया है.

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