धुबुलिया में आंगनबाड़ी केंद्र पर ताला, तीन दिनों से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को नहीं मिल रहा खाना

नदिया जिले के धुबुलिया के बटाला में आंगनबाड़ी केंद्र नंबर 1 पर पिछले तीन दिनों से ताला लगा है, जिसकी वजह से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भोजन नहीं मिल पा रहा है.

By SUBODH KUMAR SINGH | July 5, 2025 12:47 AM

तृणमूल नेता की जिद के चलते बंद पड़ा केंद्र, नियुक्ति विवाद से उपजा मामला

प्रतिनिधि, कल्याणी.

नदिया जिले के धुबुलिया के बटाला में आंगनबाड़ी केंद्र नंबर 1 पर पिछले तीन दिनों से ताला लगा है, जिसकी वजह से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भोजन नहीं मिल पा रहा है. यह विवाद उस वक्त खड़ा हुआ जब तृणमूल कांग्रेस के ग्राम पंचायत सदस्य बरकत अली शेख ने तथाकथित तौर पर केंद्र में अपनी पसंद की शिक्षिका की नियुक्ति की मांग करते हुए केंद्र को बंद करवा दिया.

मंत्री को भी है जानकारी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं : इस केंद्र में 1 जुलाई को टुकटुकी खातून ने शिक्षिका के तौर पर कार्यभार संभाला था. लेकिन अगले ही दिन पंचायत सदस्य बरकत अली शेख ने आंगनबाड़ी केंद्र का ताला बंद कर चाबी अपने पास रख ली. टुकटुकी खातून ने बताया कि उन्होंने तुरंत इस बारे में उच्च अधिकारियों को सूचना दी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. सहायिका तहजान विश्वास ने बताया कि तीन दिनों से करीब 120 बच्चों और गर्भवती महिलाओं को खाना नहीं मिल पा रहा है. स्थानीय भाजपा नेता मणि घोष ने भी इस घटना पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि बच्चों का क्या दोष है? उन्हें भोजन क्यों नहीं मिल रहा? वहीं, मंत्री उज्ज्वल विश्वास इस बारे में अब तक खामोश हैं.

तृणमूल नेता ने खुद को बताया बेगुनाह : बरकत अली शेख ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ताला उन्होंने नहीं, बल्कि गांव वालों ने लगाया है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र की पिछली शिक्षिका 30 जून को सेवानिवृत्त हुई थीं और पहले से किसी ने पद के लिए आवेदन किया था, जिसे नियुक्त किया जाना चाहिए था. उनका कहना है कि अचानक सीडीपीओ ने दूसरी शिक्षिका को नियुक्त कर दिया, इसलिए मोहल्ले के लोगों ने विरोध में ताला लगाया. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मंत्री उज्ज्वल विश्वास को पूरे मामले की जानकारी है, लेकिन फिर भी अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है. बरकत अली शेख ने इस पूरे विवाद के लिए सीडीपीओ को जिम्मेदार ठहराया. इस बीच, केंद्र पर ताला लगे रहने की वजह से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पोषण और भोजन नहीं मिलने से इलाके में चिंता और नाराजगी बढ़ रही है.

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