Suvendu Adhikari : शुभेंदु अधिकारी ने आखिर क्यों राष्ट्रपति से ममता बनर्जी खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की
Suvendu Adhikari : भाजपा नेता ने कहा,वे उच्च न्यायपालिका पर हमला कर रही हैं और कह रही हैं कि ओबीसी आरक्षण को लेकर आया हाई कोर्ट का फैसला नहीं मानूंगी. ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई करने की आवश्यकता है.
By Shinki Singh | May 25, 2024 12:53 PM
Suvendu Adhikari : पश्चिम बंगाल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष व भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने कहा, मैं सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और राष्ट्रपति से मांग कर रही हूं कि ममता बनर्जी के खिलाफ एक्शन होना चाहिए. वे उच्च न्यायपालिका पर हमला कर रही हैं और कह रही हैं कि ओबीसी आरक्षण को लेकर आया हाई कोर्ट का फैसला नहीं मानूंगी. ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई करने की आवश्यकता है.
#WATCH | Leader of Opposition in West Bengal Assembly and BJP leader Suvendu Adhikari says, "I am demanding from the Chief Justice of the Supreme Court and the President that action should be taken against Mamata Banerjee. She is attacking the higher judiciary and saying that she… https://t.co/5aROZsYdS0pic.twitter.com/7sF744do4w
ममता बनर्जी ओबीसी प्रमाणपत्र मामले में शीर्ष अदालत का करेंगी रुख
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार 2010 के बाद से राज्य में जारी किए गए सभी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाणपत्र रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती देगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गर्मी की छुट्टियों के बाद आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील करेगी. उन्होंने कहा, हम ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द करने संबंधी आदेश को नहीं मानते.
2010 के बाद से जारी ओबीसी प्रमाणपत्र को हाइकोर्ट ने किया था रद्द
राज्य सरकार को कलकत्ता हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. बुधवार को हाईकोर्ट के न्यायाधीश तपोब्रत चक्रवर्ती व न्यायाधीश राजशेखर मंथा की विशेष पीठ ने वर्ष 2010 से राज्य सरकार द्वारा जारी किये गये अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाणपत्रों को खारिज कर दिया है. बताया गया है कि हाईकोर्ट के इस फैसले से 2010 से अब तक जारी किये गये पांच लाख से अधिक प्रमाण पत्र रद्द हो जायेंगे. अदालत ने पश्चिम बंगाल में कई वर्गों का ओबीसी दर्जा रद्द कर दिया है और राज्य की नौकरियों में रिक्तियों के लिए 2012 के एक अधिनियम के तहत इस तरह के आरक्षण को अवैध पाया था.