मिथिला से रहा है पुराना रिश्ता
मिथिला की परंपरा के अनुसार पाग और शाल से स्वागत किये जाने पर आरएसएस प्रमुख ने बताया कि उनका मिथिला से गहरा नाता है और वे यहां 6 साल तक क्षेत्रीय प्रचारक के रूप में कार्य कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि जब भी बिहार आता हूं, तो कई जगह जाने का मन करता है, लेकिन समय की कमी के कारण ऐसा संभव नहीं हो पाता. उन्होंने कहा कि आज मेरे लिए यह छठ जैसा पवित्र दिन है. भागवत ने विद्या भारती से बच्चों को जोड़ने की अपील करते हुए इसे शिक्षा और संस्कार के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया.
मनुष्य को मनुष्य बनाना ही शिक्षा का असली अर्थ
अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि विद्या भारती के विद्यालय केवल आजीविका के लिए शिक्षा नहीं देते, बल्कि संस्कार भी सिखाते हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य सच्चे अर्थों में मनुष्य को मनुष्य बनाना है. भागवत ने राष्ट्र और विश्व कल्याण की भावना से कार्य करने की आवश्यकता बताई. उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और जैविक खेती पर जोर देते हुए कहा कि हमें ऐसी खेती को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहे. विद्या भारती का उद्देश्य आत्मविश्वास से भरे सुसंस्कारी बालकों का निर्माण करना है.
सुपौल में थे सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
इससे पूर्व सुपौल के वीरपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती विद्या मंदिर के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया. वैदिक मंत्रोच्चारण और नारियल फोड़कर उद्घाटन किया गया. इसके बाद उन्होंने मां सरस्वती की आराधना की और विद्यालय परिसर का निरीक्षण किया. उनके आगमन को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे. यातायात और सुरक्षा प्रबंधन को लेकर विस्तृत योजना बनाई गई थी. सुपौल के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संघ कार्यकर्ता और नेपाल से आए सनातनी श्रद्धालु शामिल हुए. छातापुर से स्थानीय विधायक सह पीएचडी मंत्री बिहार नीरज कुमार सिंह बबलू ने कहा कि संघ प्रमुख के सुपौल के वीरपुर की धरती पर आगमन इलाके के लिए सौभाग्य की बात है. कार्यक्रम में RSS के कई प्रमुख कार्यकर्ता और हजारों नागरिक उपस्थित रहे.
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