सुपौल. बिहार श्रम संसाधन विभाग ने शनिवार को बिहार बाल श्रमिक आयोग का पुनर्गठन कर दिया है. पूर्णिया के अशोक कुमार बादल को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, वहीं बिहार विधानमंडल के कुछ सदस्यों सहित विभागीय शीर्ष अधिकारियों को सदस्य मनोनीत किया गया है. इसी क्रम में पिपरा विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक रामविलास कामत को भी बाल श्रमिक आयोग का सदस्य नामित किया गया है. विधायक श्री कामत की इस नियुक्ति को लेकर क्षेत्र में हर्ष का माहौल है. सोशल मीडिया पर अधिसूचना के जारी होते ही शुभकामनाओं और बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया. क्षेत्रीय जनता ने इसे पिपरा के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताया है. बाल श्रम के विरुद्ध सख्त रुख अपनाएगा आयोग नवनियुक्त सदस्य रामविलास कामत ने कहा कि आयोग का गठन राज्य में बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में एक मजबूत पहल है. उन्होंने कहा कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम कराना कानूनन अपराध है. बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986 के तहत ऐसा करना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए संकल्पित है. सरकार का उद्देश्य है कि हर बच्चे के हाथ में किताब हो, न कि ठेला, फावड़ा या कुदाल. विधायक कामत ने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता दें और स्कूल भेजने में किसी प्रकार की कोताही न करें. उन्होंने कहा, बाल मजदूरी एक सामाजिक अभिशाप है और इसे जड़ से समाप्त करना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है. ज्ञात हो कि बिहार बाल श्रमिक आयोग पिछले कुछ वर्षों से निष्क्रिय था. इसके पुनर्गठन के बाद यह अपेक्षा की जा रही है कि आयोग अब बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा, शिक्षा के प्रचार-प्रसार और बाल श्रम उन्मूलन जैसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों की दिशा में ठोस कार्य करेगा.
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