सदर अस्पताल का रक्त केंद्र बना जीवन रक्षक, थैलेसीमिया मरीजों के लिए हो रहा संजीवनी साबित

ब्लड बैंक में विभिन्न ग्रुप के 38 यूनिट ब्लड है जमा

By RAJEEV KUMAR JHA | June 8, 2025 6:20 PM
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– जिले के 44 थैलेसीमिया मरीज को नियमित रूप से उपलब्ध कराया जा रहा ब्लड – ब्लड बैंक में विभिन्न ग्रुप के 38 यूनिट ब्लड है जमा सुपौल. सुपौल सदर अस्पताल में संचालित रक्त केंद्र (ब्लड बैंक) बीते दो वर्षों से लगातार सेवा दे रहा है और यह लोगों के लिए जीवनरक्षक साबित हो रहा है. इस केंद्र की वजह से गंभीर मरीजों को समय पर रक्त मिल पा रहा है, जिससे उन्हें इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता और कई जिंदगियों को बचाया जा सका है. ब्लड बैंक में वर्तमान में 38 यूनिट ओ पॉजिटिव, बी पॉजिटिव, बी नेगेटिव, ओ नेगेटिव सहित अन्य रक्त समूह उपलब्ध है. यह केंद्र स्थानीय जरूरतमंदों के लिए एक मजबूत सहारा बना है. आमजन में बढ़ी रक्तदान के प्रति जागरूकता गौरतलब है कि 14 जून 2023 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस रक्त केंद्र का उद्घाटन किया था. इसके बाद से जिले में रक्तदान के प्रति लोगों में जागरूकता देखने को मिल रही है. बीते 26 मई को छातापुर में एक संस्था द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन कर कई यूनिट रक्त संग्रह किया गया. थैलेसीमिया मरीजों को मिला नया जीवन थैलेसीमिया पीड़ित मरीजों के लिए यह रक्त केंद्र किसी संजीवनी से कम नहीं है. अब तक सुपौल जिले के 44 और अन्य जिलों के 17 थैलेसीमिया मरीजों को लगभग 150 यूनिट रक्त उपलब्ध कराया गया है. वर्तमान में जिले के 44 मरीजों को नियमित रूप से रक्त उपलब्ध करवाया जा रहा है. थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को हर 15 दिन से लेकर एक माह के भीतर रक्त चढ़ाना पड़ता है. विशेषज्ञों की राय डॉ विनय कुमार ने बताया कि थैलेसीमिया एक वंशानुगत रक्त विकार है, जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता. ऐसे मरीजों के लिए नियमित रूप से रक्त चढ़ाना ही एकमात्र प्रभावी इलाज है, जिससे उनकी लाल रक्त कोशिकाओं की आपूर्ति बनी रह सके. उन्होंने कहा कि स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं अधिकतम तीन महीने तक जीवित रहती हैं, इस वजह से थैलेसीमिया रोगियों को बार-बार रक्त की आवश्यकता होती है. रक्त केंद्रों पर ऐसे मरीजों के लिए समय पर रक्त उपलब्ध कराना अत्यंत आवश्यक है. ब्लड माफियाओं की गतिविधियां अब भी जारी जिले में ब्लड बैंक के बेहतर संचालन के बावजूद ब्लड माफियाओं की सक्रियता चिंता का विषय बनी हुई है. ये माफिया ग्रामीण क्षेत्रों के भोले-भाले गरीब लोगों को बहला-फुसलाकर उनका शोषण कर रहे हैं. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस दिशा में सख्ती से कार्रवाई करनी होगी, ताकि जरूरतमंदों को सुरक्षित और नि:शुल्क रक्त मिल सके. 14 जून को मनाया जाएगा विश्व रक्तदान दिवस 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस के मौके पर जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. इसके लिए जोर शोर से प्रचार प्रसार किया जा रहा है. ताकि शिविर में अधिक से अधिक लोग रक्तदान कर मानवता की मिसाल पेश करें.

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