गले पर जैसे ही चीरा लगाया, बच्ची की मौत हो गयी
मृत बच्ची के परिजनों ने बताया कि बच्ची ने करीब तीन-चार दिन पूर्व ही सिक्का निगल लिया था. इसके बावजूद वह ठीक ठाक थी और अच्छे से खाना-पीना भी खा रही थी. बताया कि गुरुवार की संध्या उनलोगों ने बच्ची को सिमराही के करजाईन रोड स्थित साईं नर्सिंग होम में इलाज करवाने के लिए लाया. जहां अस्पताल के संचालक ने बताया कि इसका ऑपरेशन करना पड़ेगा और इसमें दस हजार रुपये खर्च आयेगा. इसके बाद परिजनों ने अस्पताल संचालक के पास नौ हजार रुपये जमा करवा दिया. इसके बाद अस्पताल संचालक ने सम्राट नाक कान गला हॉस्पिटल के डॉक्टर विनोद कुमार मेहता को बुलाया. इसके बाद डॉक्टर ने बच्ची को एनेथेसिया डालकर बेहोश कर दिया और गले पर जैसे ही चीरा लगाया, बच्ची की मौत हो गयी.
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सात दिनों से सिक्का फंसा हुआ था
घटना के बाद कुछ लोगों द्वारा बीच बचाव का दौड़ भी शुरू कर दिया गया. घटना को लेकर रात में एक बैठक आयोजित की गयी. इसमें दोनों पक्षों से दर्जनों लोग मौजूद रहे. बैठक के अंत में निर्णय लिया गया कि डॉक्टर पक्ष के द्वारा मृत बच्ची के परिजनों को उचित मुआवजे के तौर राशि दी जायेगी. इसके बाद शुक्रवार की सुबह परिजनों को राशि दे दी गयी. इसके बाद परिजन मृत बच्ची को लेकर चले गये. इस मामले में रेफरल अस्पताल राघोपुर के अस्पताल प्रबंधक नोमान अहमद ने बताया कि पूर्व में जिला को फर्जी अस्पतालों की जो सूची सौंपी गयी थी. उसमें इन अस्पतालों का भी नाम था. लेकिन जिला को सूची उपलब्ध कराने के बावजूद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. मामले में थानाध्यक्ष नवीन कुमार ने बताया कि दोनों पक्षों ने आपस में समझौता कर लिया है. किसी के विरुद्ध आवेदन नहीं दिया गया. इसके बाद डॉक्टर को मुक्त कर दिया गया. आरोपित डॉ विनोद कुमार मेहता ने बताया कि मैं ट्रेंड हूं. उसी की पढ़ाई कर वे डॉक्टर बने हैं. अपने अनुसार उन्होंने सही इलाज किया, लेकिन परिजनों ने गलत जानकारी दिया कि दो दिन पहले ही सिक्का अंदर गया, जबकि करीब सात दिनों से सिक्का फंसा हुआ था.