ढोरी एरिया में सहायक डिप्टी मैनेजर पद पर कार्यरत हैं दो अधिकारी
इनमें से एक मोहित बंसल सीसीएल ढोरी एरिया अंतर्गत कल्याणी परियोजना में सहायक डिप्टी मैनेजर एक्सवेसन पद पर कार्यरत हैं, तो दूसरे युवराज सिंह ढिंगरा सीसीएल ढोरी एरिया अंतर्गत अमलो परियोजना में सहायक डिप्टी मैनेजर एक्सवेसन के पद पर कार्यरत हैं. दोनों ने कोल इंडिया में एक साथ चार नवंबर, 2017 को नौकरी ज्वाइन किया और दो दिसंबर, 2017 को ढोरी एरिया में पदभार संभाला.
मोहित का 50वीं, तो युवराज को 135वीं रैंक
धनबाद के भागा निवासी मोहित बंसल ने यूपीएससी द्वारा आयोजित इंडियन फॉरेस्ट सर्विस में ऑल इंडिया 50वीं रैंक हासिल की है, तो पंजाब निवासी युवराज सिंह ने 135वां रैंक हासिल किया है. दोनों ने कोल इंडिया में नौकरी करते हुए सेल्फ स्टडी के दम पर कामयाबी हासिल की है. दोनों की इस सफलता से परिवार में खुशी का माहौल है.
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प्रभात खबर से की खास बातचीत
प्रभात खबर से खास बातचीत में मोहित बंसल एवं युवराज सिंह ने बताया कि कोल इंडिया में नौकरी करते हुए आईएफएस की परीक्षा में सफलता हासिल करने का मन बनाया और इसकी तैयारी में जुट गया. जॉब करते हुए तैयारी पूरी करनी थी. इस लिहाज से यह चैलेंजिंग भी था. जब भी समय मिलता पढ़ाई करता था. ड्यूटी के दौरान भी मोबाइल में कुछ पढ़ लेता था. साथ ही बताया कि सेल्फ स्टडी के बल पर इस परीक्षा में सफलता मिली है. दोनों ने इस सफलता का श्रेय डोरी के महाप्रबंधक एमके के अग्रवाल तथा कल्याणी एवं अमलो के पीओ को दी है.
मोहित को प्रकृति से रहा है लगाव
मोहित बंसल ने बताया कि उनका शुरू से प्रकृति से लगाव रहा है. इसलिए इंडियन फॉरेस्ट सर्विस की तैयारी की. इस सेवा में जंगल एवं वन जीवों के संरक्षण की दिशा में काम करने का मौका मिलेगा. यह पर्यावरण के लिए भी जरूरी है. मोहित की 12वीं तक की पढ़ाई डीएवी पब्लिक स्कूल से हुई उसके बाद साल 2013 में आईएसएम में दखिला लिया. यहां पढ़ाई पूरी होने के बाद 2017 में कोल इंडिया में सहायक प्रबंधक के पद पर ज्वॉइन किया. वहीं, मोहित के पिता दिलीप अग्रवाल की आयरन स्टील की दुकान है, तो माता चांदनी बंसल गृहिणी हैं. जबकि पत्नी तृप्ति मोदी प्राइवेट कंपनी में ऑडिटर हैं.
युवराज की बचपन से सिविल सेवा में जाने की थी चाहत
युवराज सिंह ढिंगरा मूलत: पंजाब के पठानकोट के बोवा गांव के रहने वाले हैं. उनका कहना है कि उन्हें शुरू से यह इच्छा थी कि काम कोई ऐसा करें कि इसका प्रभाव सोसाइटी पर पडे. इसलिए सिविल परीक्षा की तैयारी में जुट गये. उनका कहना है कि कई बार संसाधनों की कमी हमें जरूर खलती है, लेकिन उन परस्थितियों में हमें निराश होकर अपना इरादा कमजोर नहीं करना चाहिए.
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