50 Years of Emergency: आपातकाल से पहले बेरमो आए थे जयप्रकाश नारायण और इंदिरा गांधी, इस कांग्रेस नेता की बोलती थी तूती

50 Years of Emergency: झारखंड के बोकारो जिले के बेरमो कोयलांचल के लोगों के जेहन में आज भी इमरजेंसी की यादें ताजा हैं. वे बताते हैं इमरजेंसी से पहले न सिर्फ जयप्रकाश नारायण ने बेरमो के करगली फुटबॉल मैदान में सभा को संबोधित किया था, बल्कि इंदिरा गांधी ने भी बेरमो के स्वांग हवाई अड्डे के समीप कार्यक्रम को संबोधित किया था. उस दौरान इलाके में कांग्रेस नेताओं की खूब चलती थी. खासकर कांग्रेस और इंटक के बड़े नेता रामाधार सिंह की तूती बोलती थी.

By Guru Swarup Mishra | June 24, 2025 5:06 PM
an image

50 Years of Emergency: बेरमो (बोकारो) राकेश वर्मा- 25 जून की मध्य रात्रि से पूरे देश में आपातकाल (इमरजेंसी) लागू हो गया था. 26 जून से देश के कोने-कोने में इसका विरोध शुरू हो गया था. आपातकाल लगने से पहले 14 जनवरी 1975 को जयप्रकाश नारायण का बेरमो आगमन हुआ था. यहां करगली फुटबॉल मैदान में उन्होंने सभा को संबोधित किया था. उस वक्त बेरमो में जेपी आंदोलन का नेतृत्व समाजवादी नेता सह पूर्व सांसद स्वर्गीय रामदास सिंह, बेरमो के पूर्व विधायक स्वर्गीय मिथिलेश सिन्हा, पूर्व मंत्री स्वर्गीय लालचंद महतो, स्वर्गीय केडी सिंह, डॉ प्रह्लाद वर्णवाल, मधुसूदन प्रसाद सिंह, मनोरंजन प्रसाद, एसएन सिंह, छात्र नेता प्रमोद कुमार सिंह, रवि मद्रासी, दयानंद वर्णवाल, ललन सिंह अकेला आदि कर रहे थे. इमरजेंसी से पहले इंदिरा गांधी ने भी बेरमो के स्वांग हवाई अड्डे के समीप कार्यक्रम को संबोधित किया था. बेरमो कोयलांचल में उस वक्त कांग्रेस और इंटक के बड़े नेता रामाधार सिंह उर्फ मालिक बाबू की तूती बोलती थी.

‘बुरा महीना जून, प्रजातंत्र का हो गया खून’ दीवारों पर लिखते थे नारे


बेरमो कोयलांचल में उस वक्त कांग्रेसियों की तूती बोलती थी. उस वक्त बेरमो के पुराने जनसंघी और भाजपा नेता कपिलदेव सिंह (अब स्वर्गीय) रात-रात भर छात्र नेता प्रमोद कुमार सिंह और रवि मद्रासी के साथ दीवार पर स्वरचित नारे लिखा करते थे. सबसे बुरा महीना जून, प्रजातंत्र का हो गया खून तथा जेपी का अंतिम संदेश, युवक बचाओ अपना देश जैसे नारे दीवारों पर खूब लिखे गए थे.

आपातकाल में ये भेजे गए थे जेल


आपातकाल में कपिलदेव सिंह के अलावा प्रमोद सिंह, रवि मद्रासी, मनोरंजन प्रसाद, एसएन सिंह आदि को जेल भेज दिया गया था. स्वर्गीय केडी सिंह के पिता, माता और पत्नी तीनों अस्पताल में थे और उन्हें गिरिडीह जेल से हजारीबाग फिर मोतीहारी जेल भेज दिया गया था. उन लोगों पर बेरमो रेलवे स्टेशन, राजाबेड़ा पुल व बेरमो पोस्ट ऑफिस उड़ाने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था. इमरजेंसी के पहले 1972-73 में इंदिरा गांधी ने बेरमो के स्वांग हवाई अड्डे के समीप आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया था. मंच पर मांडू के तत्कालीन एमएलए (विधायक) मोती ठाकुर और गोमिया के कांग्रेस लीडर कन्हाई राम थे. कहते हैं कि कई कांग्रेसी बेरमो में एक गुजराती के पेट्रोल पंप पर पेट्रोल ले रहे थे. इसी बीच छात्र नेता रवि मद्रासी के नेतृत्व में कई लोगों ने वाहनों से कांग्रेस का झंडा हटा दिया था.

रुक गया था कोयला मजदूरों का वेज रिवीजन और बोनस


इमरजेंसी की याद ताजा करते हुए भाजपा नेता मधुसूदन प्रसाद सिंह कहते हैं कि छात्र आंदोलन में जारंगडीह राजेंद्र उच्च विद्यालय के निकट बम विस्फोट कांड में उन्हें गिरफ्तार कर गिरिडीह जेल भेज दिया गया था. इमरजेंसी के दौरान ही कोयला मजदूरों का वेज रिवीजन और बोनस रुक गया था. पूर्व सांसद स्वर्गीय रामदास सिंह को जेल हो गया था. एक माह के पेरोल पर छूट कर जब बेरमो आए तो कोयला मजदूरों ने उनका भव्य स्वागत किया था, लेकिन स्वागत करनेवाले मजदूरों को कांग्रेसियों के कोपभाजन का शिकार होना पड़ा था. कई मजदूरों का ट्रांसफर कर दिया गया था. उस वक्त कांग्रेस नेता धमकी दिया करते थे कोरबा और कुरेसिया (मध्यप्रदेश की कोयला खदान) जाना है क्या?

डॉ प्रह्लाद देवघर और संतन सिंह चले गये थे गया


छात्र युवा संघर्ष समिति के तत्कालीन अध्यक्ष सह भाजपा नेता डॉ प्रह्लाद वर्णवाल बताते हैं कि इमरजेंसी लगते ही वह यहां से फरार होकर देवघर तथा संतन सिंह गया चले गये थे. कांग्रेस के रामाधार सिंह की उस वक्त काफी चलती थी. जरीडीह बाजार में भी मर्चेंट (कांग्रेस के रामाधार सिंह का करीबी) नामक व्यक्ति का आतंक था. उसकी इलाके में चलती थी. पुराने जनसंघी रामचंद्र वर्मा सहित कई लोग उस वक्त आपातकाल के विरोध में थे.

आपातकाल में बेरमोवासियों ने देखी मालिक बाबू की चलती


एकीकृत बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह इंटक नेता बिंदेश्वरी दुबे आपातकाल के दौरान बिहार की कांग्रेस सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे. उनके साथ साये की तरह रहने वाले रामाधार सिंह उर्फ मालिक बाबू की काफी चलती हुआ करती थी. बिहार से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस की राजनीति में रामधार सिंह की तूती बोलती थी. कहते हैं इनके घर से ही उस वक्त एमएलए का टिकट बंटा करता था. इमरजेंसी में कांग्रेस नेताओं का यहां इस कदर आतंक था कि कई विरोधी दल के नेता यहां से फरार हो गए थे. कई लोगों को पुलिस ने झुठे मुकदमे फंसा कर जेल भेज दिया था. कई लोगों ने सरेंडर कर दिया तो कई लोग कांग्रेस में ही शामिल हो गए. उस वक्त पर्दा पर सिनेमा दिखाने वाले जनवादी नौजवान सभा के अशोक सेन को बुलाकर सिनेमा दिखाने वाली मशीन सीज कर ली गयी. एटक नेता सुजीत कुमार घोष बताते हैं कि जब मालिक बाबू आपातकाल के दौरान अपनी जीप में चला करते थे तो उनकी राजनीतिक बानगी देखते ही बनती थी. कोलियरी में काम करनेवाले कोयला मजदूरों का हुजूम उमड़ता था. धौड़ों के सरदार भी इनके सामने नतमस्तक रहते थे. मालिक बाबू के साथ उस वक्त लक्ष्मेश्वर सिंह, रामसिंहासन सिंह, विपिन सिंह, लखन सिंह, त्रिवेणी सिंह, रामनारायण सिंह आदि साथ रहा करते थे.

ये भी पढ़ें: 50 Years of Emergency : इमरजेंसी की घोषणा से बना था डर का माहौल, शाम 5 बजे के बाद घरों में दुबक जाते थे लोग

संबंधित खबर और खबरें

यहां बोकारो न्यूज़ (Bokaro News) , बोकारो हिंदी समाचार (Bokaro News in Hindi), ताज़ा बोकारो समाचार (Latest Bokaro Samachar), बोकारो पॉलिटिक्स न्यूज़ (Bokaro Politics News), बोकारो एजुकेशन न्यूज़ (Bokaro Education News), बोकारो मौसम न्यूज़ (Bokaro Weather News) और बोकारो क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version