सुनील तिवारी, बोकारो, बोकारो स्टील सिटी में कभी मजदूर एकता की मिसाल बना सेक्टर-04 का मजदूर मैदान वर्तमान में अपने नाम के मतलब को तलाश रहा है. मजदूर मैदान में अब मजदूरों से संबंधित कोई कार्यक्रम नहीं हो रहा है. ना कोई बैठक ना कोई चर्चा और ना हीं मजदूरों की कोई सभा. या यूं कहें कि मजदूर मैदान से मजदूर गायब हो गये है, शेष बचा है मैदान. अब मैदान का प्रयोग सिर्फ व्यावसायिक कारणों से किया जा रहा है. एक मई यानी आज मजदूर दिवस है. हर ओर मजदूरों के हक व अधिकार की चर्चा हो रही है. मजदूर दिवस के इतिहास का बखान हो रहा है. ऐसे में मजदूर मैदान की स्थिति की चर्चा सम-समसामयिक है.
राजनीतिक दलों का अखाड़ा के रूप में भी चर्चा में रहा
80 के दशक में मजदूर मांग पूर्ति व विरोध के लिए एडीएम भवन के पास एकत्रित होते थे. ऐसे में ट्रैफिक समस्या उत्पन्न होती थी. तत्कालीन एमडी आर रामकृष्णन ने विरोध-प्रदर्शन के लिए सेक्टर चार में खाली स्थान को चयनित किया. मजदूर नेता ने भी इसका समर्थन किया. प्रबंधन ने बाकायदा मंच व शेड की व्यवस्था कर दी. सौंदर्यीकरण के लिए घेराबंदी कर दी. इसके बाद विरोध-प्रदर्शन का यह क्षेत्र मैदान का आकार लेने लगा. मैदान मजदूरों की कई ऐतिहासिक सभा का गवाह बना. मजदूर मैदान काफी दिनों तक राजनीतिक दलों का अखाड़ा के रूप में भी चर्चा में रहा. अब मेला को लेकर मैदान चर्चा में रहता है.
कर्पूरी ठाकुर, लालू यादव, शिबू सोरेन, नरेंद्र सिंह तोमर ने की सभा
1987 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर, 1995 में तत्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, 2015 में वर्तमान इस्पात मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, बोकारो के पूर्व विधायक समरेश सिंह आदि मजदूर मैदान में सभा को संबोधित कर चुके हैं. दिशोम गुरु शिबू सोरेन हर साल यहां बच्चों की चित्रकला प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आते हैं. इसके अलावा 2010 में झामुमो नेता दुर्गा सोरेन का प्रथम पुण्यतिथि समारोह का आयोजन यहीं किया गया था. मजदूर मैदान समय के साथ अपनी पहचान को खोने लगा. मैदान में अब सिर्फ मेला का आयोजन होता है. स्वदेशी मेला सहित कई तरह तरह के मेला यहां लगता है.
दुर्गा पूजा, काली पूजा, धर्मगुरु की सभा-प्रवचन, चित्रकला प्रतियोगिता होती है आयाेजित
दुर्गापूजा व काली पूजा में मैदान भक्तिमय बन जाता है. 1994 से मैदान में हर साल सखा सहयोग सुरक्षा समिति की ओर से चित्रकला प्रतियोगिता होती है. मैदान में समय-समय पर बड़े-बड़े धार्मिक कार्यक्रम भी होते रहते हैं. बाबा रामदेव, आशा राम बापू, विहंगम योग के संत स्वतंत्र देव व संत विज्ञान देव, अभी हाल में हीं राजन जी महाराज सहित कई बड़े धर्मगुरु की सभा यहां हो चुकी है. 2009 में विस्थापित नेता फूलचंद महतो ने प्रबंधन के खिलाफ विरोध जताने के लिए मजदूर मैदान में ‘हल जोतो’ कार्यक्रम आयोजित किया. मतलब, अब यह मैदान अब केवल नाम का मजदूर मैदान है. मैदान का मजदूर से कुछ लेना-देना नहीं है.
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