विप्लव सिंह, जैनामोड़, पेटरवार प्रखंड के पिछरी पंचायत स्थित सूयाडीह गांव जंगल के बीच में बसा हुआ है. गांव की आबादी करीब 400 व मकान करीब 50 है. ये आदिवासी बहुल गांव है. यहां के लोगों का जीविकोपार्जन का मुख्य जरिया मजदूरी व खेती-किसानी है. इस गांव के लोग अभी भी सड़क, पानी व अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं. यहां एक भी स्कूल नहीं है. ये गांव पंचायत में है. बावजूद विकास ना होना अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को दिखाता है.
इलाज के लिए जाना पड़ता है फुसरो या जैनामोड़
प्राथमिक विद्यालय नहीं
खेत में बना कुआं ही एक मात्र सहारा
गर्मी से लेकर बरसात तक गांव के लोगों को खेत में बना कुआं ही एक मात्र सहारा हैं. क्योंकि इस गांव में अभी तक पेयजल विभाग से एक भी चापाकल तक लगाया नहीं गया है. ग्रामीणों ने कहा कि पहले यह कुआं एक चुआं था. एक बार इस पानी को पीने से पूरा गांव बीमार पड़ गया था. इसके बाद गांव लोगों ने बैठक की. इस चुआं को गांव के लोगों ने श्रमदान व पैसे उठा कर कुआं बनाया गया. महिलाओं का कहना हैं कि दिन हो या रात खेतों के पगडंडी होते हुए कुएं तक आना पड़ता है, जिसे विषैला जीव जंतु से भी हम लोगों को खतरा व डर बना रहता है.
ग्रामीणों ने कहा : सिर्फ आश्वासन मिलता है, समाधान नहीं होता
बाबूचंद सोरेन ने कहा कि हर बार विधायक व सांसद सिर्फ आश्वासन देकर ही जाते हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं कर पाते. दुर्गा मांझी ने कहा कि गांव में तो वोट मांगने आते हैं, जीतने के बाद कौन किसको याद रखता है. चुनाव के समय ही जनता की याद आती है. करमी देवी ने कहा कि जल्द-जल्द से इस सड़क का निर्माण हो. हीरामणि देवी ने कहा कि गांव में एक भी सरकारी चापाकल नहीं हैं. अंजली कुमारी ने कहा कि पढ़ने के लिए बच्चों को चार किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, लेकिन गांव के छोटे बच्चे, तो स्कूल बंद हो जाने से अभी भी अशिक्षित रह गये हैं. करमा मांझी ने कहा कि गांव के लोगों को सड़क, पानी से लेकर सरकारी सुविधाएं नहीं होने के चलते अभी भी जीने के लिए बच्चों से लेकर बूढ़े तक जिंदगी मुश्किल भरी है. खिरोधर किस्कू ने कहा कि समस्याओं को लेकर कई बार जनप्रतिनिधि व अधिकारियों से बात की, लेकिन अभी तक किसी ने भी सुधी नहीं ली.
संतोष कुमार महतो,
बीडीओ, पेटरवार
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है