ऑनलाइन खरीदारी करनेवाले सावधान ! आप साइबर अपराधियों के रडार पर हैं. डिलीवरी के बाद डब्बे से सामान निकालने के बाद अक्सर लोग डब्बे को फेंक देते हैं. ध्यान नहीं देते हैं कि डब्बे पर बारकोड रैपर चिपका रह जाता है. जो साइबर ठगों के हाथ में पहुंच जाता है. फेंके गये डब्बे पर अंकित बारकोड को साइबर अपराधी जमा कर लेते हैं. स्कैन कर सारी जानकारी इकट्ठा करते ही साइबर खेल शुरू कर देते हैं. कई तरह के लुभावने ऑफर ई-मेल, टेक्सट मैसेज आदि के माध्यम से भेजते हैं.
फ्री-रीचार्ज के नाम पर हो रही ऑनलाइन ठगी :
व्हॉट्सएप ग्रुप पर फ्री रिचार्ज के तीन मैसेज आये, तो झांसे में नही आयें. यह मैसेज टेलीकॉम कंपनियों का नहीं, बल्कि साइबर ठगों का है. मैसेज में भेजे गये लिंक पर क्लिक करते ही मोबाइल का डाटा लीक हो जायेगा. इसका दुरुपयोग किया जा सकता है. इस तरह की शिकायत बोकारो के विभिन्न थानों में रोजाना आ रही है. शिकायत करने वाले बताते हैं कि लिंक क्लिक करते ही मोबाइल हैंग हो जाता है. कई लोग मैसेज की पुष्टि के लिए साइबर सेल तक जाते हैं.
बोले साइबर एक्सपर्ट :
इंस्पेक्टर सह साइबर एक्सपर्ट, बीएस सिटी थाना सुदामा कुमार दास साइबर ठगी के शिकार होने पर साइबर सेल को जानकारी जरूर दें. ध्यान रखें कि साइबर ठगी के शिकार होने से पहले सावधानी बरतें. ओटीपी, मोबाइल नंबर, ई-मेल आइडी, पासवर्ड सहित अन्य डिजिटल गुप्त सूचना किसी से भी साझा नहीं करें. संस्थान की तरफ से मांगने पर तुरंत संबंधित संस्थान या पुलिस से संपर्क करें. किसी तरह की परेशानी का शक होने पर घरवालों से भी साझा करें, ताकि परेशानी को समय पर दूर किया जा सके. साथ ही आप ठगी के शिकार होने से बच सकें.
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