बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा : 1934-35 में जब देश के कोने-कोने में अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे लग रहे थे. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (बापू) को रामगढ़ में किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने जाना था. तब रामगढ़ से पहले वे बेरमो अनुमंडल के गोमिया पहुंचे थे. यहां करमाटांड़ निवासी व स्वतंत्रता सेनानी होपपन मांझी के नेतृत्व में हजारों लोगों के जत्थे ने गांधीजी को बैलगाड़ी में जुलूस की शक्ल में करमाटांड़ गांव लाया था. बापू करमाटांड़ गांव में होपन मांझी व उनक पुत्र लक्ष्मण मांझी के टूटे-फूटे खपरैल मकान में एक रात रुके थे. संताली बहुल करमाटांड़ गांव में पैर पुजाई व लोटा पानी देकर बापू का स्वागत किया गया था. दोपहर में बापू को होपन मांझी के परिजन ने खाने में महुआ व बाजरे की रोटी और महुआ का लाठा परोसा था, जिसे बाबू ने काफी चाव से खाया था. होपन मांझी व लक्ष्मण मांझी के पुस्तैनी घर के आंगन में तुलसी पीढ़ा की बापू ने पूजा भी की थी. यह तुलसी पीढ़ा आज भी है. रात भर होपन मांझी के घर पर रुकने के बाद दूसरे दिन सुबह बापू रमगढ़ के लिए रवाना हो गए थे.
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