बेरमो/महुआटांड़, वर्ष 1974 से 1980 के बीच आंदोलनों के सिलसिले बिनोद बिहारी महतो के साथ अक्सर शिबू सोरेन बेरमो, गोमिया, नावाडीह, जरीडीह, पेटरवार, कसमार के इलाके में आया करते थे. नावाडीह प्रखंड के उग्रवाद प्रभावित ऊपरघाट क्षेत्र के गांवों में महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन चलाया था. धनकटनी आंदोलन भी चला था. आंदोलन के क्रम में ही एक महाजन की हत्या हुई थी. इसमें शिबू सोरेन समेत कई लोगों को आरोपी बनाया गया था. बोकारो जिला के अराजू, बेलडीह भस्की में भी उनके नेतृत्व में धनकटनी आंदोलन चला था. ललपनिया क्षेत्र में 1970-80 के बीच शिबू सोरेन के नेतृत्व में महाजनी प्रथा के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन हुआ करता था. इसकी बागडोर उनके अनुज लालू सोरेन संभालते थे. झामुमो के पूर्व नेता धनीराम मांझी ने बताया कि फुटकाडीह बाजारटांड़ के समीप जारागढ़ा के बीच आंदोलन हुआ था. 13 नवंबर 1970 को शिबू सोरेन सहित 56 लोगों को गिरफ्तार कर हजारीबाग जेल भेज दिया गया था. इस आंदोलन में पुलिस की गोली से पेरो मंझियाइन की मौत हुई थी. इस आंदोलन को लेकर तैयारी के दौरान उनकी गिरफ्तारी 11 नवंबर को उनके दनिया स्थित घर से हो गयी थी. लालू सोरेन पुलिस को चकमा देकर फरार हो गये थे. झारखंड आंदोलन के समय भी इस क्षेत्र में शिबू सोरेन आते थे. जब कोरोना काल में शिबू सोरेन कोरोना संक्रमित हुए थे, तो गांव में उनकी कुशलता के लिए जाहेर स्थान में मन्नतें मांगी गयी थीं. कुछ दिन पूर्व भी दोरबार चट्टानी स्थित पूनाय थान में गुरुजी के स्वस्थ होने की कामना को लेकर विशेष पूजा की गयी थी.
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