सूत्रों की मानें तो चिकित्सकों व पारा मेडिकल स्टॉफ की कमी के कारण ही एक के बाद एक लगातार ये डिस्पेंसरीज बंद होती चली गयीं. गौरतलब है कि तीन एरिया से सालाना लगभग 18-19 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होता है. खासकर बीएंडके एरिया कोयला उत्पादन में पूरे सीसीएल में चौथा स्थान रखता है. चालू वित्तीय वर्ष में एरिया का उत्पादन लक्ष्य 10.5 मिलियन टन है. एरिया करोड़ों रुपये के मुनाफे में चल रहा है. लेकिन एक-एक कर यहां डिस्पेंसरीज को बद कर गया. जबकि एक समय के सबसे बड़े गांधीनगर अस्पताल को डिस्पेंसरी बना दिया गया. तीनों एरिया का मैन पावर करीब 10 हजार के करीब है. वहीं कोलियरियों से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से 1 लाख से ज्यादा लोग जुडे हुए हैं. इसके बावजूद बेरमो के तीन एरिया में एकमात्र केंद्रीय अस्पताल ढोरी को छोडकर कहीं भी चिकित्सीय व्यवस्था सही नहीं है.
गंभीर मरीजों को रांची व बोकारो कर दिया जाता है रेफर
किसी भी गंभीर मरीज को तत्काल यहां से बोकारो या फिर रांची रेफर कर दिया जाता है. माइंस में किसी तरह की दुर्घटना हो या फिर फैटल एक्सीडेंट, तत्काल माइंस परिधि में पूर्व में संचालित डिस्पेंसरी के बजाय सीधे एरिया के अस्पताल में जाना पडता है. जबकि माइंस एक्ट कहता है कि जहां भी ऑपरेटेड माइंस है वहां डिस्पेंसरी रहना जरुरी है. इसमें एंबुलेंस की भी सुविधा होनी चाहिए.
बीएंडके एरिया की बंद डिस्पेंसरीज
बीएंडके एरिया की बंद डिस्पैशरियों में चार नंबर बोकारो कोलियरी, केएसपी फेज दो, कोनार-खासमहल एवंं रामनगर डिस्पेंसरी शामिल है. जबकि बोकारो कोलियरी व जवाहरनगर डिस्पेंसरी चल रही है. जवाहरनगर में करगली रिजनल अस्पताल से सप्ताह में तीन दिन एक घंटे के लिए एक चिकित्सक बैठते हैं. वहीं बोकारो कोलियरी डिस्पेंसरी में डॉ शंकर प्रसाद व डॉ केपी शाही बैठते हैं. इस एरिया में कोल इंडिया की मेगा प्रोजेक्ट एकेके व कारो परियोजना के अलावा बोकारो कोलियरी है.
ढोरी एरिया की बंद डिस्पेंसरीज
ढोरी एरिया की बंद डिस्पैशरियों में एनएसडी, मकोली व तारमी डिस्पेंसरी शामिल हैं. जबकि सेंट्रल कॉलोनी एवं कल्याणी डिस्पेंसरी चल रही है. सेंट्रल कॉलोनी डिस्पैशरी में ढोरी सेंट्रल अस्पताल से रोटेशन के आधार पर डॉक्टर को भेजा जाता है. जबकि कल्याणी डिस्पेंसरी में रेगूलर डॉ सतीश बैठते हैं. इस एरिया में दो परियोजना एएओडीसीएम व एसडीओसीएम के अलावा तारमी व ढोरी खास यूजी माइंस हैं.
कथारा एरिया की बंद डिस्पेंसरीज
एरिया की बंद डिस्पैशरियों में जारंगडीह आर आर शॉप, कथारा बांध कॉलोनी, स्वांग वाशरी शामिल हैं. जबकि स्वांग, गोविंदपुर और जारंगडीह डिस्पेंसरी चल रही है. इसमें गोविंदपुर एवं स्वांग डिस्पेंसरी में एक ही चिकित्सक के जिम्मे है. जबकि जारंगडीह (असपताल) डिस्पेंसरी की स्थिति काफी दयनीय है. इस एरिया में जारंगडीह कोलियरी, कथारा कोलियरी, स्वांग-गोविंदपुर परियोजना, गोविंदपुर यूजी माइंस के अलावा स्वांग व कथारा वाशरी है.
बंद हो गया बोकारो कोलियरी का गांधीनगर अस्पताल
मालूम हो कि सात-आठ साल पहले बीएंडके एरिया की बोकारो कोलियरी में छह दशक पुराना गांधीनगर अस्पताल को बंद कर यहां खासमहल से कृष्णा सुदर्शन सेंट्रल स्कूल को शिफ्ट कर दिया गया था. जबकि गांधीनगर अस्पताल की जगह बोकारो कोलियरी ऑफिस के निकट एक डिस्पेंसरी खोल दी गयी. फिलहाल यहां दो चिकित्सक पदस्थापित हैं. इस डिस्पेंसरी में मरीज को एक बोतल स्लाइन चढाने तक की व्यवस्था नही है.
मात्र पांच चिकित्सकों के भरोसे चल रहा रीजनल अस्पताल
करगली रीजनल अस्पताल मात्र पांच चिकित्सक के भरोसे चल रहा है. इसमें एरिया मेडिकल ऑफिसर डॉ संतोष कुमार, डॉ ए ए कुजूर, डॉ मुकेश रामू दास, डॉ साकेत व डॉ गौरव सिंह हैं. डॉ संतोष 31 अक्टूबर 2025 को सेवानिवृत्त हो जायेंगे. अस्पताल के तीन चिकित्सक पीजी की पढ़ाई करने के लिए स्टडी लीव पर चले गये हैं. इनमें डॉ रश्मि राशि नालंदा मेडिकल कॉलेज एमडी एनसथेसिया की पढ़ाई करने, डॉ प्रिया रानी जयपुर एमडी की पढ़ाई करने तथा डॉ इंद्र भूषण सिंह बीसीसीएल में पीजी (डीएनबी) की पढ़ाई करने गये हैं. चिकित्सकों की कमी को देखते हुए इस अस्पताल में इमरजेंसी सेवा बंद करने का निर्णय लिया गया. इसअस्पताल की इमरजेंसी सेवा को अप्राल में बगल के सेंट्रल हॉस्पिटल ढोरी में अस्थायी रूप से शिफ्ट कर दिया गया था. जिसके बाद मजदूर यूनियन आरसीएमयू ने प्रदर्शन कर प्रबंधन पर दबाब बनाया था. चिकित्सकों के अनुसार यहां फिर से इमरजेंसी सेवा बहाल कर दी गयी है, लेकिन मरीजों की मानें तो करगली रीजनल अस्पताल में इमरजेंसी सेवा यथा ट्रामा, हार्ट अटैक, सर्जरी, मेडिसिन सहित कई तरह की सेवाओं का लाभ बीएंडके एरिया के कोल कर्मियों तथा गैर कोल कर्मियों को नहीं मिल पा रहा है. यह सारी इमरजेंसी सेवा के लिए ढोरी सेंट्रल हॉस्पिटल जाना पड़ता है.
क्या कहना है सीएमओ का
करगली रिजनल अस्पताल के सीएमओ डॉ संतोष कुमार कहते है कि बीएंडके एरिया के जिन भी डिस्पेंसरीज को वर्षो पहले बंद किया गया है उसमें रोगी के नहीं पहुंचने के कारण बंद किया गया. साथ ही उस स्थान पर कोल वर्कर भी काफी कम थे.
क्या कहते हैं यूनियन नेता
एटक नेता व जेबीसीसीआई सदस्य लखनलाल महतो कहते है कि डॉक्टर्स एवं पारा मेडिकल स्टॉफ की कमी के कारण तीनों एरिया की डिस्पेंसरीज बंद होती चली गयीं. प्रबंधन नये चिकित्सक व पारा मेडिकल स्टॉफ को बहाल नहीं करना चाहती है.
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