Bokaro News : वर्ष 1987 से बंद पिपराडीह कोलियरी होगी चालू

Bokaro News : वर्ष 1987 से बंद सीसीएल कथारा एरिया अंतर्गत स्वांग समूह की पिपराडीह कोलियरी चालू होगी.

By JANAK SINGH CHOUDHARY | April 25, 2025 10:46 PM
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राकेश वर्मा, बेरमो, वर्ष 1987 से बंद सीसीएल कथारा एरिया अंतर्गत स्वांग समूह की पिपराडीह कोलियरी चालू होगी. इसको लेकर प्रबंधकीय कार्यवाही तेज कर दी गयी है. इसी साल इस कोलियरी के चालू होने की उम्मीद है. पिपराडीह कोलियरी चालू होने के बाद पिपराडीह रेलवे साइडिंग भी चालू होगी. क्षेत्रीय प्रबंधन के अनुसार सीसीएल बोर्ड से एप्रुवल मिलने के बाद प्रोजेक्ट रिपोर्ट बना ली गयी है और इसको एप्रूवल मिल गया है. कोयला खनन के लिए आउटसोर्स का प्रपोजल बनाया जा रहा है. इसके बाद सीसीएल मुख्यालय में इसका टेंडर होगा तथा एल-1 होने वाली कंपनी इस कोलियरी से ओबी निस्तारण व कोयला खनन का काम शुरू करेगी. जानकारी के अनुसार इस कोलियरी को दो फेज में चालू किया जायेगा. पहले पेज में 21 मिलियन टन कोयला का उत्पादन किया जायेगा और 77 लाख घन मीटर टन ओबी का निस्तारण होगा. हर साल दो मिलियन (20 लाख टन) कोयला उत्पादन होगा. दूसरे फेज में 15 मिलियन टन कोयला का उत्पादन होगा और 46 लाख घन मीटर टन ओबी का निस्तारण होगा. इस कोलियरी में वाशरी ग्रेड 3.4.5 का कोयला है. इसे वाश कर कोकिंग कोल भी बनाया जायेगा और थर्मल व स्टील प्लांट में आपूर्ति की जायेगी. इधर, इस कोलियरी के चालू होने की खबर से आसपास के क्षेत्रों में खुशी की लहर है. लोगों का कहना है कि कोलियरी चालू होने से गोमिया, स्वांग सहित आसपास के क्षेत्र के सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलेगा. साथ ही क्षेत्र का व्यवसाय क्षेत्र भी विकसित होगा. लोकल सेल भी खुलेगा, जिससे डीओ धारक, ट्रक ऑनर, लिफ्टर, लोडिंग मजदूर आदि रोजगार से जुड़ेंगे.

बन रही है रेलवे साइडिंग पिपराडीह

कोलियरी को चालू करने को लेकर यहां काफी पहले से रेलवे साइडिंग का निर्माण कार्य चल रहा है. बीच में रेलवे तथा सीसीएल के बीच कुछ विवाद के कारण काम बंद था. लेकिन फिर से निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है. यहां रेलवे साइडिंग बन जाने के बाद स्वांग-गोविंदपुर खुली खदान से उत्पादित कोयला, जिसे अभी जारंगडीह रेलवे साइडिंग भेजा जाता है, उसे पिपराडीह रेलवे साइडिंग भेजा जायेगा. इसके अलावा यहां जीरो प्वाइंट पर पुल का भी निर्माण किया गया है तथा एप्रोच रोड का निर्माण कार्य होना है.

भूमिगत खदान के रूप में 1917 में चालू हुई थी यह कोलियरी

चालू वित्तीय वर्ष में बंद पिपराडीह माइंस को चालू करना प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर है. परियोजना को लेकर जल्द ही आउटसोर्स का प्रपोजल तैयार हो जायेगा. इस माइंस के अस्तित्व में आने के बाद कई लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़ेंगे और कथारा एरिया का भविष्य भी उज्जवल होगा.

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