राकेश वर्मा, बेरमो
खदान में है 19 मिलियन टन कोयला
प्रबंधन के अनुसार पिछरी माइंस में 19 मिलियन टन कोयला है. 16 वर्षों तक सालाना 1.5 मिलियन टन कोयला का उत्पादन किया जा सकता है. मालूम हो कि विस्थापित रैयतों और प्रबंधन के बीच चल रहा विवाद इस माइंस के खुलने में बाधक बना हुआ है. रैयतों की जमीन के सत्यापन के लिए डेढ़ दर्जन से ज्यादा बार गांव में कैंप लगाया गया. इसके अलावा पिछरी में प्रशासन द्वारा ग्राम सभा भी की गयी, एक प्रबंधकीय टीम भी बनायी थी. जमीन सत्यापन के लिए हायरिंग पर दो अमीन को प्रशासन के सहयोग से रखा गया. जमीन सत्यापन के लिए कागजात की तलाश के लिए प्रबंधन ने पटना के गुलजारबाग तथा हजारीबाग भी अपने अधिकारी को भेज कर पुराने खतियान को खंगाला. वर्ष 2018 में पिछरी के दुगराकुल्ली के 20 मकानों तथा जामटांड़ के 130 मकानों व जमीन की मापी क्षेत्रीय प्रबंधन ने शुरू करायी.क्या कहना है सीसीएल सीएमडी का
सीसीएल के सीएमडी निलेंदू कुमार सिंह का कहना है कि बंद पिछरी माइंस को खोलने के लिए कंपनी गंभीर है. जिला प्रशासन व सीसीएल की टीम ने भूमि सत्यापन के लिए टेरी रजिस्टर बनाया है. हर हाल में पिछरी माइंस चालू होगी.
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