ग्रामीणों ने बताया यह मुहल्ला सोलर युक्त एकमात्र जलमीनार पर निर्भर था. वह भी दो माह से खराब है. बोरिंग धंस जाने के कारण जलमीनार से पानी नहीं निकल रहा है. बोरिंग ठीक कराने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों को कई बार बताया गया, लेकिन किसी ने दिलचस्पी नहीं ली है. 15वें वित्त आयोग की राशि से जलमीनार का निर्माण हुआ था. बस्ती में चापाकल, कुआं अथवा पेयजल का अन्य स्रोत नहीं रहने के कारण स्थिति भयावह बनी हुई है.
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ग्रामीणों में है आक्रोश
पेयजल समस्या को लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है. आनंद डोम, मामनी देवी, बारिया देवी, सरस्वती देवी, जोसोना देवी, किशन डोम, प्रमिला देवी, दुर्गा मनी देवी, पालकों देवी, सीमा देवी, गीता देवी, चांदनी देवी, छूटनी देवी, फूलो देवी आदि ने कहा कि आखिर हम लोग कब तक उपेक्षित रहेंगे. मुहल्ले में पानी को लेकर हाहाकार है. दिन की कौन कहे, रात को भी जाग कर पानी के लिए मारामारी करनी पड़ रही है. दिन में घंटों धूप में खड़े रहकर चापाकल से पानी भरना पड़ रहा है. वार्ड सदस्य ममता देवी, डोली देवी, सारथी देवी आदि ने कहा कि बस्ती में कम से कम पांच चापाकल और कुछ कुएं होने चाहिए, प्रशासन को शीघ्र इसपर गंभीर होना चाहिए.
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दूसरे माेहल्ले पर निर्भर हैं घांसी टोला के ग्रामीण
इधर, बगदा के घासी टोला में करीब 50-55 एससी परिवार रहता है. पूरी बस्ती मात्र एक चापाकल पर निर्भर था, लेकिन यह भी जवाब दे चुका है. ऐसे में ग्रामीणों को पानी भरने के लिए चक्रवर्ती टोला स्थित चापाकल पर निर्भर रहना पड़ता है. इसको लेकर कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पंचायत समिति सदस्य मौ भट्टाचार्य ने बताया कि विभाग इसको लेकर गंभीर नहीं है. विभागीय कनीय अभियंता को इस बारे में बताया गया, लेकिन वह चापाकल ठीक करने के लिए आवश्यक सामग्री नहीं होने की बात कह कर कन्नी काट रहे हैं. कहा कि जल्द ही खराब चापाकल को ठी कर कुछ नये चापाकल नहीं लगाये गये, तो ग्रामीणों को सड़क पर उतरने के लिए विवश होना पड़ेगा.
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