सीपीआई के टिकट पर 3 बार घाटशिला से लड़े थे चुनाव
बास्ता सोरेन ने वर्ष 1957, वर्ष 1962 और वर्ष 1967 में विधानसभा चुनाव सीपीआई उम्मीदवार के रूप में ही लड़ा. उनका जीवन आम जनता के लिए समर्पित था. आदिवासियों के उत्थान के लिए लगातार चिंतन करते रहते थे. इतना ही नहीं, आदिवासियों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने में भी लगे रहते थे.
कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने बास्ता सोरेन को दी श्रद्धांजलि
बास्ता सोरेन के परिवार में पुत्र डॉ देवदूत सोरेन, बहू डॉ सुनीता सोरेन, विवाहिता पुत्री और नाती-पोते का भरा-पूरा परिवार है. उनके निधन से कम्युनिस्ट पार्टी को भारी क्षति हुई है. उनको अंतिम विदाई देने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव कॉमरेड अंबुज ठाकुर, वरिष्ठ साथी कॉमरेड शशि कुमार, कॉमरेड आरएस राय, एटक के कॉमरेड हीरा अरकने, कॉमरेड सोनू सेठी, एआइएसएफ के साथी विक्रम कुमार, कॉमरेड प्रिंस सिंह पहुंचे थे.
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सीपीआई के झंडे में लपेटे गये कॉमरेड बास्ता सोरेन
सभी कॉमरेड ने पार्टी का झंडा ओढ़ाकर और पुष्प अर्पित कर बास्ता सोरेन को अंतिम विदाई दी. सीपीआई की जिला समिति ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए बास्ता सोरेन को लाल सलाम पेश किया. नेताओं ने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी उनके समर्पण को हमेशा याद करेगी.
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