गालूडीह. झारखंड के स्कूली शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने सोमवार को गालूडीह रिसोर्ट में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम, 2017 में ही पारित हुआ था. पूर्ववर्ती सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया, पर अब ऐसा नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि सदन में मुझसे निजी विद्यालयों की मनमानी पर सवाल पूछे गये थे. तब मैंने झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 का गजट दिखाया. सवाल पूछने वाले तब सरकार में थे, तो वे चुप हो गये. मैंने इस पर स्पष्ट कर दिया है अब झारखंड समेत पूर्वी सिंहभूम जिले के निजी स्कूलों की कोई मनमानी नहीं चलेगी. शुल्क निर्धारण को लेकर पहले से ही स्कूल और जिला स्तर पर कमेटी गठित है. इसके लिए स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा सभी आयुक्त व उपायुक्त को पत्र लिखा है और कहा गया है कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 के आलोक में शुल्क समिति का गठन करें. अधिनियम के प्रावधान के अनुरूप 15 दिनों के अंदर विद्यालय स्तर पर शुल्क समिति व जिला स्तर पर जिला समिति का गठन करने को कहा गया है. सरकार की ओर से स्कूलों की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा रही है. जो स्कूल मनमानी कर रहे हैं और नियम-कानून की अनदेखी कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. अगर निजी स्कूलों द्वारा कॉपी, किताब, स्कूल बैग, यूनिफॉर्म और री-एडमिशन के नाम पर फीस वसूलने के बारे में स्कूल समिति द्वारा जिला स्तरीय समिति के पास कोई शिकायत दर्ज करायी जाती है, तो सरकार निश्चित रूप से कार्रवाई करेगी. मनमानी करने वाले निजी स्कूलों पर 50 हजार से ढाई लाख तक जुर्माना वसूला जायेगा. वसूला गया जुर्माना शिक्षा विभाग के पास जमा होगा. क्या है झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण अधिनियम : मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा टीएमए पाई बनाम कर्नाटक राज्य मामले में पीआइएल संख्या 2744/2003 और झारखंड हाइकोर्ट की खंडपीठ द्वारा पीआइएल 2537/2002 में 5 अगस्त, 2003 को आये आदेश के अनुपालन में शिक्षक, छात्र और अभिभावकों की शिकायतों के निवारण के लिए अधिनियम बनाया गया था. उस समय शुल्क निर्धारण के लिए कोई मापदंड नहीं था. इस वजह से झारखंड हाइकोर्ट की पीआइएल संख्या 3271/2013 के आलोक में निजी स्कूलों द्वारा अधिक फीस निर्धारण के लिए कमेटी गठित की गयी. फीस कलेक्शन को रेगुलेट करने के लिए कमेटी ने राज्य सरकार को उचित कानून बनाने का प्रस्ताव दिया. इस पर झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम, 2017 पारित हुआ था. विद्यालय की कमेटी में अभिभावक और शिक्षक रहेंगे : विद्यालय स्तर पर शुल्क निर्धारण के लिए गठित कमेटी में बच्चों के अभिभावक के साथ शिक्षक भी शामिल होंगे. प्रावधान के अनुरूप निजी विद्यालय प्रबंधन द्वारा मनोनीत जनप्रतिनिधि कमेटी के अध्यक्ष होंगे. विद्यालय के प्राचार्य, सचिव, विद्यालय प्रबंधन द्वारा मनोनीत तीन शिक्षक व शिक्षक संघ द्वारा नामित चार माता-पिता इसके सदस्य होंगे. विद्यालय प्रबंधन को फीस निर्धारण के एजेंडा और बैठक की जानकारी एक सप्ताह पहले देनी होगी. विद्यालय समिति अगर तय समय में शुल्क निर्धारण में विफल रहता है तो प्रबंधन यह प्रस्ताव जिलास्तरीय कमेटी के समक्ष रखेगा. विद्यालय में अगर पिछले वर्ष की तुलना में 10 फीसदी से अधिक फीस बढ़ोतरी की जाती है, तो भी इसको जिला कमेटी को भेजा जायेगा. वहीं उपायुक्तों की अध्यक्षता में गठित होने वाली समिति में संबंधित सांसद और विधायक भी रहेंगे. राज्य में 80 सीएम एक्सीलेंस स्कूल संचालित अगले साल तक दोगुना करने का लक्ष्य शिक्षा मंत्री ने कहा कि वर्तमान में राज्य में 80 सीएम एक्ससिलेंस स्कूल संचालित है, जिसे एक वर्ष के अंदर दोगुना कर 160 करने का लक्ष्य है और अगले पांच वर्ष पूरे राज्य में करीब चार हजार सीएण एक्ससिलेंस स्कूल खोला जायेगा. एक तरह से हाई स्कूल एक्ससिलेंस में परिवर्तित किया जायेगा. इसके अलावे मॉडल स्कूल और आदर्श विद्यालय अलग से रहेगा. सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों जैसी सुविधाएं उपलब्ध होगी. इससे लोगों के दिमाग से निजी स्कूलों का भ्रम टूट जायेगा. वैसे स्कूलों में सीबीएसई के पाठ्यक्रम के अनुरूप पढ़ाई शुरु होगी. साथ ही शिक्षक प्रशिक्षित शिक्षिक बहाल किए जायेंगे. जल्द ही 26 हजार शिक्षक बहाल होंगे इसके बाद फिर बहाली निकाली जायेगी. 10 हजार जनजातीय शिक्षकों की जल्द बहाली होगी. मौके पर झामुमो नेता जगदीश भकत, कालीपद गोराई, दुर्गा मुर्मू, कान्हू सामंत, श्रवण अग्रवाल, रतन महतो, वकील हेंब्रम, काजल डॉन, मंटू महतो, सुनाराम सोरेन, दुलाल चंद्र हांसदा, रंजीत कोयरी आदि उपस्थित थे.
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