East Singhbhum News : रोजगार सृजन व महिला सशक्तीकरण पर जोर, को-ऑपरेटिव मोड में बंबू प्लांट चलाने के निर्देश

बहरागोड़ा प्रखंड के जुगीशोल व मानुषमुड़िया के बंबू क्लस्टर का सोमवार को उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने निरीक्षण किया.

By AKASH | July 22, 2025 12:24 AM
feature

बरसोल.

बहरागोड़ा प्रखंड के जुगीशोल व मानुषमुड़िया के बंबू क्लस्टर का सोमवार को उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने निरीक्षण किया. उन्होंने बांस उत्पादों के निर्माण में लगे कारीगरों से संवाद किया. जुगीशोल बंबू क्लस्टर में 70 से अधिक कारीगर कार्यरत हैं. महिलाओं ने पत्तों से बनी पारंपरिक टोपी पहनाकर डीसी का स्वागत किया. डीसी ने प्लांट में महिलाओं से बात की. पद्मावती कालिंदी, मोगली कालिंदी आदि ने बताया कि उन्हें हर दिन 150 रुपये मिलते हैं. एक बार कंपनी की तरफ से खाने को दिया जाता है. डीसी ने बंबू प्लांट के मैनेजर अशोक कुमार से बांस से संबंधित कई सवाल किये. वे कई सवालों का सही जवाब नहीं दे पाये. डीसी ने कहा यहां के लोगों को बेहतर तरीके ऑर्गेनाइज किया जायेगा. बांस से सामान बनाना ग्रामीणों का अच्छी तरह से आता है. सभी सामान को बाजार में बेचा जा सके, ऐसी व्यवस्था करनी है. इससे अच्छा कोऑपरेटिव शुरू हो होगा. जहां-जहां कमियां हैं, उसे ठीक किया जायेगा.

नयी लाभुकों को दो-तीन माह बाद मंईयां योजना से जोड़ा जायेगा

महिलाओं ने डीसी के सामने मंईयां सम्मान योजना व मनरेगा में मजदूरी नहीं मिलने की शिकायत की. डीसी ने कहा कि मंईयां सम्मान का पैसा एक बार मिलने के बाद बंद है, तो बैंक खाता व आधार नंबर को अपडेट करा लें. पैसा मिलने लगेगा. नयी लाभुकों को दो तीन माह बाद जोड़ा जायेगा. मौके पर बहरागोड़ा के बीडीओ केशव भारती, सीओ राजा राम मुंडा, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ उत्पल मुर्मू, राजेश सिंह, अभिजीत बेरा, मुखिया राम मुर्मू आदि उपस्थित थे.

मानुषमुड़िया में बंद बंबू प्लांट खुलने की आस जगी

मानुषमुड़िया में वर्ष 2005 में स्थापित बंबू सीजनिंग प्लांट काफी समय से बंद है. क्षेत्र के बांस को विशेष पहचान दिलाने के लिए वन विभाग ने बंबू सीजनिंग प्लांट स्थापित कराया था. सरकारी नीतियों का दंश झेलते-झेलते अब प्लांट बंद हो गया है. कई शिल्पकार बेरोजगार हो गये. अब डीसी के निरीक्षण से मानुषमुड़िया में महिलाओं व युवकों को बंद बंबू प्लांट को खोलने आस जगी है.

एक करोड़ की लागत से बना था प्लांट

मानुषमुड़िया में प्लांट को बनाने में लगभग एक करोड़ खर्च हुए थे. प्लांट में एक विशेष मशीन से बांस को नीयत तापमान पर उपचारित किया जाता था. दावा था कि ऐसा करने से बांस की उम्र 50 वर्ष से अधिक हो जाती है. इन उपचारित बांसों से पलंग, सोफा, कुर्सी समेत कई अन्य फर्नीचर व सजावट की सामग्री का निर्माण होता था. जमशेदपुर, घाटशिला, चाकुलिया, बहरागोड़ा व आस पास के इलाकों में इसकी बिक्री शुरू नहीं की गयी. धीरे-धीरे झारक्राफ्ट को नुकसान होने लगा. 31 जुलाई 2019 से प्लांट का संचालन इएसएएफ के हाथों में आ गया. कुछ दिनों बाद प्लांट बंद हो गया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

यहां पूर्वी सिंहभूम न्यूज़ (East Singhbhum News) , पूर्वी सिंहभूम हिंदी समाचार (East Singhbhum News in Hindi), ताज़ा पूर्वी सिंहभूम समाचार (Latest East Singhbhum Samachar), पूर्वी सिंहभूम पॉलिटिक्स न्यूज़ (East Singhbhum Politics News), पूर्वी सिंहभूम एजुकेशन न्यूज़ (East Singhbhum Education News), पूर्वी सिंहभूम मौसम न्यूज़ (East Singhbhum Weather News) और पूर्वी सिंहभूम क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version