East Singhbhum News : हर किसी को भोजन चाहिए, लेकिन खेती कोई नहीं करना चाहता, त्राहिमाम कर रहे किसान

गालूडीह में कृषि प्रधान बड़ाकुर्शी पंचायत में प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम आयोजित, - किसान कुलियाना घाट से नाव से सब्जी लेकर जाते हैं जमशेदपुर, कई किसान बस से मानगो जाते हैं

By AVINASH JHA | March 12, 2025 12:18 AM
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गालूडीह. घाटशिला प्रखंड की कृषि प्रधान पंचायत बड़ाकुर्शी स्थित बड़ाकुर्शी गांव में मंगलवार को ‘प्रभात खबर आपके द्वार’ कार्यक्रम आयोजित हुआ. यहां किसानों खुलकर अपनी समस्याएं रखीं. किसानों ने कहा कि हर किसी को भोजन चाहिए, लेकिन खेती कोई नहीं करना चाहता है. हम (किसान) तमाम विपरीत और विकट परिस्थितियों में खेती करते हैं. अपना खून-पसीना जलाकर फसल उगाते हैं. हमें सरकारी मदद तक नहीं मिलती है.

सिंचाई की व्यवस्था नहीं, नहर में पानी नहीं आता

किसानों ने कहा कि पूरे प्रखंड में बड़ाकुर्शी पंचायत कृषि प्रधान क्षेत्र है. यहां के अधिकतर परिवार खेती-किसानी से जुड़ा है. धान के साथ गेहूं, सब्जी, दलहन-तेलहन की खेती करते हैं. यहां सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है. सातगुड़म नदी पर सीरियल चेकडैम की मांग काफी दिनों से कर रहे हैं. किसान निजी तालाब से पटवन करते हैं. कुछ किसानों ने बोरिंग की है. सुवर्णरेखा परियोजना की नहर पंचायत में आयी है, पर पानी नहीं आता है. कई जगह नहर टूटी हुई है.

पिकअप वैन देने का वादा कर भूल गये जनप्रतिनिधि

किसानों ने कहा कि जन प्रतिनिधियों ने भरोसा दिया था कि बड़ाकुर्शी के किसानों को सब्जियों को जमशेदपुर, घाटशिला, मऊभंडार, जादूगोड़ा, गालूडीह ले जाने के लिए एक पिकअप वैन देंगे. आज तक नहीं मिला. यहां के किसान कुलियाना घाट से नाव पर सब्जी लादकर नदी पार करते हैं. जमशेदपुर में जाकर बेचते हैं. कुछ किसान बस से मानगो जाते हैं. अधिकतर किसान साइकिल पर सब्जी लादकर गालूडीह, राखा व मऊभंडार में बेचने जाते हैं.

पंचायत में न लैंपस है न मिनी कोल्ड स्टोर

किसानों ने कहा, बड़ाकुर्शी कृषि प्रधान पंचायत है. इसके बावजूद पंचायत में लैंपस नहीं है. सात किमी दूर गालूडीह के महुलिया लैंपस जाना पड़ता है. यहां एक अदद मिनी कोल्ड स्टोर तक नहीं बना है. इससे किसान टमाटर, आलू समेत अन्य उत्पाद नहीं रख पाते हैं.

रखने की व्यवस्था नहीं, कम दाम पर आलू बेचना पड़ा किसानों को

बड़ाकुर्शी पंचायत में बड़ाकुर्शी, छोटाकुर्शी, आमचुड़िया, गिधिबिली, कुलियाना, पायरागुड़ी, बिरहीगोड़ा, सालबनी, बांधडीह, घुटिया, सुंदरकनाली, खीरकनाली, निश्चितपुर आदि गांव हैं. सभी गांवों में करीब 10 हजार किसान परिवार हैं. ये साल भर फसल उगाते हैं. सब्जी उत्पादन में बड़ाकुर्शी पंचायत आगे है. किसानों ने बताया कि कोल्ड स्टोरेज नहीं होने से आलू उत्पादक किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गर्मी शुरू होने के साथ आलू सड़ने का डर रहता है. किसान मजबूरी में सस्ती दरों पर आलू बेचते हैं. इस बार आलू की अच्छी पैदावार हुई थी. किसान भंडारण बेहतर ढंग से नहीं कर पा रहे हैं. कोल्ड स्टोरेज नहीं होने के कारण कुछ किसान ने औने-पौने दाम में तत्काल आलू को बेच दिया. किसानों ने क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था की मांग की है.

…बड़ाकुर्शी के किसानों का दर्द…

यहां के किसान धान, सब्जी उत्पादन में अव्वल हैं. जैसे-तैसे सिंचाई कर अपनी क्षमता का प्रर्दशन करते हैं. बेहतर सिंचाई की व्यवस्था मिल जाये, तो किसान आत्मनिर्भर होंगे. हमें सहारे की नहीं, बल्कि दूसरों के सहारा बनेंगे.

——————————गांव के किसान भगवान भरोसे हैं. सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने से खेती छोड़कर अन्य काम में लग जाते हैं. ऐसे हालत में किसानों को उनके अनुसार फायदा नहीं मिलता है. दूसरे साल कर्ज लेकर फिर खेती करते हैं. सिंचाई व्यवस्था जरूरी है.

सिंचाई की सुविधा नहीं होने से ठीक से फसल नहीं हो पाती है. मॉनसून ही एकमात्र सहारा है. सरकारी स्तर पर डीप बोरिंग होने से खेती में सुधार हो सकती है. सरकार ने नहर का निर्माण किया है, लेकिन पानी नहीं आता है. ऐसे में खेती संभव नहीं है.

———————————क्षेत्र में कोल्ड स्टोर नहीं है. किसान आलू, प्याज, टमाटर और फूल की खेती बड़े पैमाने पर करने से कतराते हैं. कहते हैं रखेंगे कहां. आलू, प्याज, टमाटर और फूल गोभी आदि को तुरंत बेचना पड़ता है. नहीं बिकने पर घर पर सड़ जाता है.

——————————-सब्जियों को गांव से जमशेदपुर मंडी तक ले जाने के लिए किसानों को काफी दिक्कतें आती हैं. किसानों के पास साधन नहीं है. भाड़े के पिकअप वैन से सब्जियों को मंडी तक पहुंचाते हैं. वाहन नहीं मिलने कारण कई बार सब्जियां सड़ जाती हैं.

—————————सब्जियों को मंडी तक ले जाने के लिए पिकअप वैन की व्यवस्था होनी चाहिए. किसानों को शहर तक सब्जियों को पहुंचाने में आसानी होगी. किसान साप्ताहिक हाट और साइकिल से घूम-घूम कर सब्जियों को बेचने के लिए विवश हैं.

—————————-कोल्ड स्टोरेज नहीं होने से किसान औने-पौने दाम पर सब्जी बेचने को विवश हैं. सब्जियों के दाम घटने से कृषक परेशान हैं. इन दिनों आलू, फूल व पत्ता गोभी, टमाटर, बैंगन, मिर्च आदि तोड़कर तत्काल उसे बाजार में बेचने को विवश हैं.

———————————कोल्ड स्टोर नहीं होने से किसानों को परेशानी हो रही है. किसानों को उपज तत्काल मंडी में बेचना पड़ता है. कई किसान आसपास के क्षेत्र में सब्जियां कम कीमत पर बेचते हैं. कोल्ड स्टोर हो, तो किसानों को दोगुना लाभ मिल सकता है.

——————————-किसान खेतों में समय से पानी नहीं मिलने से परेशान हैं. नहर का पानी खेतों तक नहीं पहुंच पाता है. किसान महंगे डीजल से पंप सेट चलाकर खेती करते हैं. खेती में खर्च ज्यादा पड़ता है. किसान को समुचित लाभ नहीं मिलता है.

——————————-यहां कृषि के लिए पानी नहीं है. बिना सिंचाई के खेती नहीं हो सकती है. किसानों को पशु पालन के लिए प्रोत्साहित करना होगा. मौसम से फसल बर्बाद भी हो जाये, तो पशुपालन संभाल ले. सरकार उन्नत नस्ल के पशु अनुदान पर दे.

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