राकेश सिंह, चाकुलियापूर्वी सिंहभूम के किसानों को सिंचाई की व्यवस्था मिल जाये, तो वे वर्ष में तीन बार कृषि कार्य कर समृद्ध हो सकते हैं. इसका उदाहरण चाकुलिया प्रखंड के बड़ामारा मुंडा टोला के किसान हैं. कुछ समय पहले तक यहां के किसान बारिश के भरोसे रहते थे. वर्ष में एक बार धान की फसल लगाते थे.. बारिश अच्छी होने पर फसल अच्छी होती थी. बारिश नहीं हुई, तो फसल खराब हो जाती थी. किसान साल भर दुखी रहते थे. किसानों ने निजी तौर पर सिंचाई की व्यवस्था की. आपस में चंदा इकट्ठा कर बोरिंग की. यहां के किसानों ने पहली बार बादाम व आलू की खेती शुरू की है. दर्जन भर किसानों ने बादाम की खेती की, जबकि किसान मंगल मुंडा ने आलू की फसल लगायी है. आलू की अच्छी फसल हुई. कई किसानों ने प्रभावित होकर अगले वर्ष से आलू की फसल लगाने का निश्चय किया है.
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