घाटशिला. पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला कॉलेज सभागार में मंगलवार को साइबर अपराध के खिलाफ ‘प्रभात खबर’ का जन आंदोलन जागरूकता कार्यक्रम किया गया. कॉलेज के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने कार्यक्रम का लाभ उठाया. साइबर अपराध से बचाव के तरीके को जाना. वहीं, मन में उठ रहे सवालों को विशेषज्ञों से पूछा. कार्यक्रम में साइबर एक्सपर्ट प्रशिक्षु आइपीएस ऋषभ त्रिवेदी ने कहा कि साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसका मुख्य कारण हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल फोन होना है. अगर आप स्मार्टफोन रखते हैं, तो खुद भी स्मार्ट बनें. आप ठगी होने से बच सकेंगे. साइबर ठगी होने पर तुरंत 1930 नंबर डायल कर या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत करें. वहीं, जिले के साइबर सेल में जाकर शिकायत कर सकते हैं.
‘डिजिटल अरेस्ट’ कानून नहीं, साइबर ठगों का हथकंडा है
लोग याद रखें कि मोबाइल फोन जितना सहूलियत देता है, उतना ही खतरनाक भी है. उन्होंने छात्र-छात्राओं से अपील की, मोबाइल फोन का उपयोग केवल पढ़ाई के लिए करें. ऐप को सुरक्षित रखने के लिए स्ट्रांग पासवर्ड लगाकर रखें. फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स और बैंकिंग से जुड़े ऐप को इस्तेमाल के बाद लॉग आउट जरूर करें. उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ नाम की कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती है. यह केवल साइबर ठगों का हथकंडा है. संदिग्ध लिंक पर क्लिक ना करें. व्हाट्स ऐप का एक्सेस किसी को न दें.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि घाटशिला के एसडीओ सुनील चंद्र रहे. मुख्य वक्ता साइबर एक्सपर्ट के रूप में प्रशिक्षु आइपीएस ऋषभ त्रिवेदी ने महत्वपूर्ण जानकारियां दीं. कार्यक्रम में घाटशिला कॉलेज के प्राचार्य डॉ आरके चौधरी, प्रभात खबर जमशेदपुर के संपादक संजय मिश्र, यूनिट हेट पिनाकी गुप्ता, कॉलेज के प्रोफेसर उपस्थित रहे. सबसे पहले अतिथियों को अंग वस्त्र देकर स्वागत किया गया.
प्रभात खबर का अभियान सराहनीय : एसडीओ
डिजिटल युग में साइबर अपराध चुनौती : डॉ आरके चौधरी
घाटशिला कॉलेज के प्राचार्य डॉ आरके चौधरी ने कहा कि आज साइबर अपराध गंभीर चुनौती है. आप लोग सतर्क रहें और सही जानकारी रखें. साइबर ठग तरह-तरह का लालच देकर ठगी करते हैं. प्रो इंदल पासवान ने धन्यवाद ज्ञापन दिया. उन्होंने कहा कि साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है. इससे बचाव के लिए जागरूकता सबसे महत्वपूर्ण है.
विद्यार्थियों के सवालों पर एक्सपर्ट ने दिये जवाब
सवाल
: डिजिटल अरेस्ट क्या है? (कान्हू टुडू, सेमेस्टर-1 का छात्र)
जवाब
: डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज़ नहीं होती है. साइबर अपराधी विभिन्न तरीकों से लोगों को धोखा देकर उनकी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी चुरा लेते हैं. यह सिर्फ साइबर ठग डराने के लिए करते हैं.
सवाल
जवाब
सवाल:
ऑनलाइन फिशिंग क्या है ? (इंद्रा भारती सेमेस्टर-2 का छात्र)
जवाब
: ऑनलाइन फिशिंग एक प्रकार की साइबर ठगी है. इसमें फर्जी ई-मेल, मैसेज या वेबसाइट के जरिये लोगों से उनकी गोपनीय जानकारी, जैसे बैंक डिटेल्स, पासवर्ड और ओटीपी चुराने की कोशिश करते हैं. अपराधी अक्सर बैंक, सरकारी संस्थान या किसी विश्वसनीय कंपनी के नाम से नकली लिंक भेजते हैं. वहां यूजर अपनी जानकारी दर्ज करता है और ठगी का शिकार हो जाता है. हमेशा आधिकारिक वेबसाइट का इस्तेमाल करें.
सवाल :
जवाब:
सवाल :
आइपीएस बनना है, क्या करना चाहिए? (राखी पातर का दूसरा सवाल)
जवाब :
आइपीएस बनने के लिए सबसे पहले आपके अंदर देश सेवा का जज्बा और दृढ़ संकल्प होना चाहिए. इसकी तैयारी के लिए संयम, कड़ी मेहनत और सही रणनीति जरूरी है. सही दिशा में मेहनत करें, तो सफलता निश्चित है.
साइबर अपराध से बचाव को रखें ध्यान
2. मोबाइल में अनावश्यक एप्लिकेशन डाउनलोड न करें.
4. व्हाट्सएप पर आने वाले प्रलोभन वाले फर्जी संदेश से बचें.
6. लॉटरी में जीत और अन्य किसी ऑफर के लालच में न फंसें
डिजिटल अरेस्ट के बारे में जानें
2. फर्जी कॉल आये, तो 1930 नंबर पर तुरंत सूचना दें. साइबर थाना में शिकायत करें.
4. आजकल सरकारी योजनाओं का लाभ देने के नाम पर व्हाट्सएप पर फर्जी लिंक भेजे जा रहें, इसे कभी भी ओपन न करें.
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