जनजातीय साहित्य में संताली साहित्य का विशेष स्थान
मुख्य अतिथि शैलेंद्र महतो ने कहा कि साहित्य किसी समाज का मनोवैज्ञानिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण का आईना होता है. इसके माध्यम से हम एक समाज की भावनाओं, सोच, और विचारों को समझ सकते हैं. जनजातीय साहित्य में संताली साहित्य का एक विशेष स्थान है. उन्होंने कहा कि संताली साहित्यकारों ने साहित्य सृजन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उनके द्वारा लिखी गयी कहानियां, कविताएं और नाटक उनके समुदाय के जीवन की अनुभूतियों को साझा करती हैं और उन्हें अधिक विशेषता प्रदान करती हैं. समृद्ध संस्कृति और समृद्ध समाज के निर्माण के लिए साहित्य सृजन का कार्य निरंतर जारी रखें. इसलिए साहित्यकारों को उनके सृजन के कार्य को समर्थन और प्रोत्साहित करना हम सबों की जिम्मेदारी है.कार्यक्रम का संचालन जाहेरथान कमेटी के रवींद्रनाथ मुर्मू ने की.कार्यक्रम को सफल बनाने में बाबुराम सोरेन, शंकर हेंब्रम, गणेश टुडू, जोबा मुर्मू, ताला टुडू, डोमन टुडू आदि सराहनीय योगदान दे रहे हैं.
पारंपरिक वाद्ययंत्र व परिधान का भी लगेगा स्टॉल
ट्राइबल बुक फेयर में पारंपरिक वाद्ययंत्र, तीर-धनुष और परिधान का भी स्टॉल लगा है. पुस्तक प्रेमी अपनी पारंपरिक चीजों को सामने से देख रहे हैं और उन्हें खरीद भी रहे हैं. बुक फेयर परंपरागत और साहित्यिक धरोहर को समझने का एक अवसर भी प्रदान कर रहा है. पहले ही दिन से सभी स्टॉलों में पुस्तक प्रेमियों की अच्छी खासी भीड़ जुट रही है.
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इन पब्लिशर्स का लगा है पुस्तक मेले में स्टॉल
आदिम पब्लिकेशन कोलकाता, बास्के पब्लिकेशन कोलकाता, आदिवासी साहित्य प्रकाशन, बाली हावड़ा पश्चिम बंगाल, सुतु बुक स्टॉल पुररूलिया, तुरा बुरू बुक स्टॉल बांकुड़ा, मारसाल बामबर झाड़ग्राम पश्चिम बंगाल, चईचंपागढ़ पंची साड़ी एंड बुक स्टॉल, सीतानाला बुक स्टॉल, सगुन मार्ट बुक स्टॉल एंड पंची सिल्दा, खेरवाल राज पब्लिकेशन, मारसाल तारास पब्लिकेशन झाड़ग्राम, बुद्धदेव मांडी बुक स्टॉल, सोनोत बुक एंड पंची, तीर-धनुष, हांस हस्ली पब्लिकेशन बारीपदा ओडिशा.