घाटशिला. घाटशिला प्रखंड के कई क्षेत्रों में जल संकट दिन पर दिन गंभीर हो रहा है. उपायुक्त और एसडीओ मार्च 2025 से लगातार विभागीय अधिकारियों और जल स्वच्छता विभाग को खराब पड़े चापाकलों और जलमीनारों की मरम्मत के निर्देश दे रहे हैं. जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं हुआ है. घाटशिला की बीडीओ ने पंचायत प्रतिनिधियों और जल स्वच्छता विभाग के साथ कई बैठक की, पर हालात जस के तस हैं. प्रखंड की 22 पंचायतों में लगभग 2300 चापाकल हैं. विभाग के पास जानकारी नहीं है कि कितने चालू और कितने खराब हैं. इसी तरह 350 से 400 जलमीनार विभिन्न योजनाओं से लगी हैं. उनकी स्थिति की सूची तैयार नहीं है. नीर निर्मल योजना, मुख्यमंत्री जल नल योजना, 14वें और 15वें वित्त आयोग व विधायक निधि से बनी जलमीनारों की हालत खराब है. कई जलमीनार वर्षों से बेकार हैं.
क्या कहते हैं ग्रामीण
– रंजना मुर्मू, कीताडीह
-संगुलता पातर, कीताडीह
जलमीनार एक साल से खराब है. विभागीय अधिकारियों के पास देखने तक का समय नहीं है. इससे पहले जलमीनार खराब हुई थी, तब ग्रामीणों ने चंदा कर मरम्मत करायी थी. आखिर कब तक हम अपने दम पर सब कुछ करते रहेंगे.
–कोट–
मेरी तबीयत खराब है. गांव में जल समस्या को लेकर चिंतित हूं. 30 लाख रुपये की जलमीनार सालों से खराब है. विभागीय अधिकारी लापरवाह हैं. यह गांव अनुमंडल कार्यालय से महज एक किमी दूर है. एसडीओ साहब का आवास भी इसी गांव में है. गर्मी में हालात ज्यादा खराब हो गये हैं.
————————————–जिला स्तर से लगातार बैठक हो रही है. निर्देश दिये जा रहे हैं, लेकिन प्रखंड स्तर पर पालन नहीं हो रहा है. यदि जलमीनार खराब है, तो उसकी सूची जल स्वच्छता विभाग के माध्यम से जिला कार्यालय को भेजनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा.
उपायुक्त लगातार निर्देश दे रहे हैं, लेकिन प्रखंड कार्यालय सूची देने में असमर्थ रहता है. विभाग और पंचायत स्तर पर मिलीभगत के कारण पारदर्शिता नहीं है. हमने कई बार खराब चापाकल और जलमीनारों की सूची मांगी, लेकिन नहीं मिली. कई गांवों में हमने अपनी पहल पर जलमीनार की मरम्मत करायी. एक-दो दिन में उपायुक्त और डीडीसी से मिलकर जानकारी साझा करेंगे.
————————————–इस विषय में संबंधित विभागीय पदाधिकारियों से बात कर रहे हैं. खराब पड़े जलस्रोतों की सूची के साथ जानकारी मांगी गयी है कि अब तक कितनों की मरम्मत की गयी है. इसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी.
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