सरकार की योजनाओं का उद्देश्य आम जनता को सुविधा देना होता है, लेकिन जब योजनाएं जमीन पर उतरने के बावजूद लोगों को लाभ न दे पायें, तो यह सरकारी धन के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है. कुछ ऐसा ही हाल जिले के जननी आश्रय केंद्र का है, जो लगभग दस माह पूर्व बनकर तैयार हो गया, लेकिन अब तक चालू नहीं हो सका. महागामा प्रखंड में 24 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 50 बेड वाले अस्पताल परिसर में बने इस जननी आश्रय केंद्र का निर्माण डीएमएफटी की राशि से किया गया था. भवन का कार्य पिछले वर्ष अक्टूबर-नवंबर में ही पूर्ण कर लिया गया, लेकिन अब तक इसका औपचारिक उद्घाटन नहीं हो पाया, जिससे इसका लाभ महिलाओं तक नहीं पहुंच पा रहा है. स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि जिस सोच के साथ जननी केंद्र का निर्माण कराया गया था, वह केवल कागजों तक सीमित होकर रह गया है. लोगों में चर्चा है कि यह परियोजना ठेकेदारी लाभ के लिए ही बनी, जबकि इसकी वास्तविक उपयोगिता अब तक शून्य बनी हुई है.
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