ठाकुरगंगटी प्रखंड के सुदूरवर्ती इलाके में स्थित हरिदेवी रेफरल अस्पताल आज भी बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी से जूझ रहा है. यह अस्पताल जिले के अंतिम छोर पर अवस्थित है, जहां साहिबगंज, भागलपुर एवं गोड्डा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र के सैकड़ों मरीज प्रतिदिन इलाज के लिए पहुंचते हैं. इशके बावजूद इसके, आज तक इसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) का दर्जा नहीं मिल पाया है. 30 शैय्या वाले इस अस्पताल में महज दो डॉक्टरों के सहारे संपूर्ण चिकित्सा व्यवस्था संचालित हो रही है. वर्षों से महिला चिकित्सक की मांग की जा रही है, परंतु अब तक कोई प्रतिनियुक्ति नहीं की गयी है. इससे अस्पताल में इलाज के लिए आने वाली महिलाओं को अपनी समस्याएं खुलकर बताने में संकोच होता है, जो गंभीर चिंता का विषय है. अस्पताल में एक्स-रे एवं अन्य जांच सुविधाओं का भी अभाव है. मरीजों को मामूली जांच के लिए भी भागलपुर जैसे शहरों का रुख करना पड़ता है, जिससे उन्हें आर्थिक और मानसिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. अस्पताल परिसर की चाहरदीवारी पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. हाई मास्क लाइट नहीं होने के कारण रात में कर्मियों को सुरक्षा की चिंता सताती है. सामुदायिक शौचालय एवं आवासीय सुविधा के अभाव में कर्मियों को दूर रहना पड़ता है, जिससे समय पर ड्यूटी निभाना भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि वर्षों से अस्पताल की दयनीय स्थिति की ओर जनप्रतिनिधियों ने ध्यान नहीं दिया, जिससे क्षेत्र के लोग उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं. वर्तमान सिविल सर्जन से लोगों को उम्मीद है, लेकिन एक माह बीतने के बाद भी कोई ठोस पहल नहीं हुई है. स्थानीय जनता ने अविलंब डॉक्टरों की नियुक्ति, महिला चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति एवं आधारभूत ढांचे के सुदृढ़ीकरण की मांग की है.
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