कैचुआ चौक स्थित महर्षि मेंहीं आश्रम में गुरु पूर्णिमा महोत्सव बड़े ही श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया गया. इस अवसर पर एक दिवसीय संतमत सत्संग का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु सत्संग प्रेमियों ने भाग लिया. सत्संग में स्वामी अनुपम बाबा ने भगवान व्यासदेव के जीवन चरित्र और शिक्षाओं पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि भगवान वेदव्यास महर्षि पराशर और देवी मत्स्यगंधा के पुत्र थे. उन्होंने चारों वेदों, अठारह पुराणों तथा अनेक धर्मग्रंथों की रचना की. उन्होंने बताया कि गुरु पूर्णिमा का दिन गुरु-शिष्य परंपरा के सम्मान और आत्मिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. गुरु के बिना जीवन अधूरा है. बिना गुरु के भवसागर पार करना असंभव है. राम और कृष्ण जैसे अवतारों ने भी गुरु की शरण ली थी. स्वामी अनुपम बाबा ने सभी श्रद्धालुओं को संदेश देते हुए कहा कि प्रत्येक मनुष्य को जीवन में गुरु अवश्य धारण करना चाहिए. यदि किसी ने गुरु नहीं किया है तो उसे माता-पिता, कुलगुरु या शिक्षा गुरु का आदरपूर्वक पूजन करना चाहिए. उन्होंने महर्षि मेंहीं जैसे परम संतों के उपदेशों को जीवन मार्गदर्शक बताया और कहा कि यही उपदेश भटके हुए जीवन को कल्याण की दिशा में ले जाते है. सत्संग के द्वितीय सत्र में केदार बाबा, बासुदेव बाबा, सुखदेव बाबा एवं जयकांत साह ने सद्गुरु की महिमा पर अपने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम की शुरुआत भजन-कीर्तन, स्तुति-विनती एवं धर्म ग्रंथ पाठ से हुई, जिससे आश्रम परिसर भक्तिमय हो उठा. इस अवसर पर भाजपा मंडल अध्यक्ष अशोक यादव और जिला महामंत्री मुरारी चौबे ने स्वामी अनुपम बाबा को अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया. धन्यवाद ज्ञापन राजेंद्र चौबे ने किया. कार्यक्रम में चतुर्भुज गुप्ता, प्रदीप पोद्दार, प्रमोद मेहरा, खेमापद पंडित, पवन भगत, कैलाश पंजियारा सहित सैकड़ों सत्संग प्रेमी उपस्थित रहे. पूरे आयोजन के दौरान श्रद्धा, भक्ति और अनुशासन का सुंदर समन्वय देखने को मिला.
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