गोड्डा जिले में इस बार कुल लक्ष्य का 72 फीसदी सिंचित भूभाग पर रबी फसलों का आच्छादन जिले भर में किया गया है. इसमें सबसे ज्यादा तेलहन फसल का आच्छादन किया गया है. यह आंकड़ा पिछले साल से तकरीबन 15 प्रतिशत ज्यादा है. इसका कारण है कि पिछले साल जिले में सुखाड़ का आलम था. खेतों में नमी नहीं के बराबर थी. इस बार खेतों में बारिश के कारण पर्याप्त नमी रही. पानी की दिक्कत नहीं हुई. इसलिए इस बार किसानों द्वारा ज्यादातर सिंचित भूभाग पर गेहूं सहित दलहन व तेलहन की खेती की गयी है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में इस बार गेहूं की बुआई के लिए 15 हजार हेक्टेयर जमीन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जबकि इसके मुकाबले नौ हजार हेक्टेयर की बुआई की गयी. इसका कारण कि गेहूं की बुआई के लिए तीन-तीन पटवन की आवश्यकता होती है. ऐसे में जहां पर पटवन के साधन का अभाव है, वहां किसान गेहूं की बुआई नहीं के बराबर करते हैं. यहां कम ही ऐसा भूभाग है, जहां पटवन के साधनों की प्रचुरता है. इसलिए गेहूं कम मात्रा में बुआई की जाती है. मक्का की बुआई 1601 हेक्टेयर में की गयी है. मालूम हो कि मक्का की बुआई के लिए तीन हजार हेक्टेयर लक्ष्य रखा गया था. वहीं चना, मसूर, मटर व अन्य दलहन फसलों की बुआई के लिए साढ़े 23 हजार हेक्टेयर जमीन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जबकि बुआई तकरीबन 15 हजार हेक्टेयर जमीन पर कर ली गयी है. कुल लक्ष्य का तकरीबन 75 प्रतिशत उपलब्धि हासिल कर ली गयी है. कारण कि इसमें कम पटवन की आवश्यकता होती है. इसके अलावा जो रबी में सबसे ज्यादा मात्रा में बुआई की जाती है, वह तेलहन है. तेलहन फसलों में यहां ज्यादातर भूभाग पर सरसों की बुआई की जाती है. सरसों के अलावा तीसी व सूर्यमुखी आदि की बुआई होती है. ज्यादा मात्रा में तीसी व सरसों की बुआई होती है. इस बार सरसों की बुआई का लक्ष्य 29 हजार हेक्टेयर के एरिया में किया गया था, जबकि बुआई तकरीबन 27 हजार हेक्टेयर पर कर दी गयी है. कुल लक्ष्य का 75 फीसदी उपलब्धि हासिल की गयी है. इसमें भी धान व गेहूं की तुलना मे कम पटवन की आवश्यकता होती है. जिले में किसान हरेक साल पर्यापत मात्रा में सरसो की खेती करते है.
संबंधित खबर
और खबरें