गोड्डा जिले के सुंदरपहाड़ी प्रखंड का एक क्षेत्र, जो पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड की सीमा से सटा हुआ है, विकास के अभाव में कई समस्याओं का सामना कर रहा है. सुंदरपहाड़ी के ग्रामीणों की समस्याएं उनकी दूरस्थता और बुनियादी सुविधाओं के अभाव को उजागर करती हैं. यहां स्थित बड़ापाकतड़ी पंचायत , जो पहाड़ के शीर्ष पर बसा है, सड़क सुविधा के अभाव में अपनी कठिन परिस्थितियों से जूझ रहा है. इस पंचायत में कुल 26 गांव शामिल हैं, जिनमें सलगामा, पेरतारा, बड़ा और छोटा चामेर, नादोपाड़ा, बड़ा और छोटा पालमा, गढ़गामा, बलानी, राखा, डुमली, घघरी, नादगोड़ा, चमडोड, तेलो, चेबो और चरचरी जैसे गांव प्रमुख हैं. इन गांवों में अधिकांश जनसंख्या आदिम पहाड़िया जनजाति की है. पहाड़ों और उबड़-खाबड़ रास्तों से घिरा यह क्षेत्र सड़क सुविधा से वंचित है, जिससे यहां पहुंचने और बाहर जाने के लिए केवल पगडंडियां ही सहारा हैं. गांवों में किसी भी प्रकार के वाहन ले जाना लगभग असंभव है, जिसके कारण लोग पैदल ही दूर-दराज की यात्राएं करने को मजबूर हैं. गांव के लोग प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचने के लिए 7 किलोमीटर पैदल चलकर बलमी गांव तक आते हैं. बलमी पहाड़ के नीचे स्थित है, जहां से लोग अन्य साधनों के जरिए पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के शिमला होते हुए सुंदरपहाड़ी मुख्यालय पहुंचते हैं. यह सफर करीब 50 किलोमीटर लंबा होता है. दूसरा विकल्प तेतरिया के रास्ते प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचने का है, लेकिन पैदल यात्रा की दूरी लगभग 15 किलोमीटर होने के कारण इस मार्ग का कम ही उपयोग किया जाता है. गढ़सिंगला, चरचरी, घघरी, नादगोड़ा, डुमली और चमड़ाडे जैसे गांवों के निवासी इसी दुर्गम रास्ते का सामना करते हैं.
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