झारखंड राज्य का एकमात्र होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल, परसपानी की मान्यता नेशनल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी, नई दिल्ली द्वारा रद्द कर दिये जाने के बाद क्षेत्र के साथ-साथ पूरे राज्य के लिए दुखद है. करीब 22 वर्षों से संचालित इस कॉलेज की मान्यता रद्द करने के पीछे कई प्रमुख कारण रहे हैं, जिनमें शिक्षकों की भारी कमी, आवश्यक संसाधनों का अभाव तथा प्रबंधन की लचर व्यवस्था मुख्य रूप से शामिल है. काउंसिल द्वारा की गयी विस्तृत जांच में कुल 31 कमियों को चिह्नित किया गया, जिसके आधार पर मान्यता समाप्त करने की अधिसूचना कॉलेज प्रबंधन एवं राज्य सरकार को भेज दी गयी है. हालांकि, नेशनल काउंसिल ने कॉलेज को 30 दिनों की मोहलत देते हुए शिक्षकों की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया है. यदि इस अवधि में सुधारात्मक कदम नहीं उठाये जाते हैं, तो कॉलेज की पुनः मान्यता प्राप्त करने की संभावनाएं और भी क्षीण हो सकती हैं.
42 शिक्षकों की जरूरत के मुकाबले मात्र 12 शिक्षक, स्थाई सिर्फ छह
राज्य के एकमात्र होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल, परसपानी में शिक्षकों की भारी कमी पायी गयी. कॉलेज में जहां कम से कम 41 से 42 शिक्षकों की आवश्यकता है, वहीं वर्तमान में केवल 12 शिक्षक ही कार्यरत हैं. यह संख्या आवश्यकतानुसार एक-चौथाई (1/4) ही है. इन 12 शिक्षकों में से छह शिक्षक स्थाई रूप से पदस्थापित हैं, जबकि चार शिक्षक अनुबंध आधारित सेवा दे रहे हैं. शेष दो पदों पर अतिथि शिक्षक अस्थायी रूप से कार्य कर रहे हैं. स्थाई रूप से कार्यरत शिक्षकों में डॉ. मनोज कुमार साह (प्रभारी प्राचार्य), डॉ. आईडी दास, डॉ. ऊषा यादव, डॉ. डीएन मिश्रा, डॉ. निर्मल कुमार तथा डॉ. श्रीचंद प्रसाद का नाम प्रमुख रूप से शामिल है. विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े चिकित्सा शिक्षण संस्थान में शिक्षकों की यह स्थिति न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करती है, बल्कि इससे विद्यार्थियों के भविष्य पर भी गंभीर असर पड़ता है. यही कारण है कि नेशनल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी ने कॉलेज की मान्यता रद्द करते हुए शिक्षकों की संख्या बढ़ाने के लिए 30 दिनों का अल्टीमेटम जारी किया है.
परसपानी होम्योपैथिक कॉलेज में अधिकांश फैकल्टी में एमडी शिक्षक नहीं
कॉलेज में इन विषयों में मात्र एक-एक शिक्षक ही पदस्थापित
मेटेरिया मेडिका, एनाटॉमी, ऑर्गेनन, सर्जरी, ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनोकॉलॉजी (ऑक्सगायनी), प्रैक्टिस ऑफ मेडिसिन, पीएसएम (सामुदायिक चिकित्सा), रिपर्टरी, एफएमटी (फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी) इन सभी आठों विभागों में पढ़ा रहे शिक्षक एमडी डिग्री धारक नहीं हैं, जो कि काउंसिल के मानदंडों के गंभीर उल्लंघन की श्रेणी में आता है. विशेषज्ञों का कहना है कि पाठ्यक्रम की गुणवत्ता, विद्यार्थियों की दक्षता और चिकित्सा शिक्षा की विश्वसनीयता इस तरह की नियुक्तियों से प्रभावित होती है. काउंसिल की रिपोर्ट ने इन कमियों को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है और कॉलेज प्रबंधन से जल्द सुधार की अपेक्षा की है.
संसाधनों में गंभीर कमियां और प्रबंधन की असफलता पर कांउसिल की रिपोर्ट
शिक्षक कमी के कारण सीटों में कटौती और नामांकन में रोक
सत्र 2023-24 तक छात्र-छात्राओं का नामांकन 63 सीटों पर किया गया था, लेकिन शिक्षक की गंभीर कमी को देखते हुए सत्र 2024-25 से सीटों की संख्या घटाकर 38 कर दी गयी. अब मान्यता रद्द हो जाने के कारण सत्र 2025-26 में फिलहाल घटायी गयी 38 सीटों पर भी नामांकन पर पूर्णतः विराम लगा दिया गया है. पिछले कुछ सत्रों के नामांकन की स्थिति देखें तो सत्र 2020-21 में 43 छात्र-छात्राएं, 2021-22 में 41, 2022-23 में 55, 2023-24 में 61 तथा 2024-25 में 38 छात्र-छात्राएं नामांकित हुई हैं.दुखद है कि वह कॉलेज, जो प्रगति के मार्ग पर होना था, अब पीछे हट गया है. बेहतर शिक्षा की संभावना अब धूमिल हो गयी है. गोड्डा जैसे क्षेत्र से कॉलेज की मान्यता खो जाना अत्यंत रोषजनक है. सरकार को इस ओर शीघ्र और गंभीर ध्यान देना आवश्यक है.
-संतोष कुमार सिंह, दिशा सदस्य
मामले की जानकारी मिली है और जानकर अत्यंत दुःख हुआ. गोड्डा व संताल परगना ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए होम्योपैथी कॉलेज में शिक्षा का विशेष महत्व है. इस विषय को लेकर सीएम से मुलाकात कर सभी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की जाएगी.
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