मनरेगा योजना के तहत पोड़ैयाहाट प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में 200 एकड़ भूमि पर बागवानी योजना के अंतर्गत फलदार वृक्ष लगाने की स्वीकृति दी गयी है. इस योजना का उद्देश्य बंजर एवं खाली पड़ी जमीन का उपयोग कर हरित क्रांति को बढ़ावा देना है. बावजूद इसके, जुलाई का दूसरा सप्ताह बीतने के बावजूद एक भी पौधा नहीं लगाया गया है. ज्ञात हो कि मानसून की शुरुआत से पहले ही पंचायत सेवकों और रोजगार सेवकों के साथ कई बैठकें आयोजित कर दिशा-निर्देश दिये गये थे, ताकि वर्षा काल में पौधारोपण सुचारु रूप से हो सके. लेकिन, समय पर पौधे नहीं लगाये जाने के कारण अक्सर यह योजना कारगर सिद्ध नहीं हो पाती. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पौधे लगने में देरी होने से जानवर उन्हें खा जाते हैं या सूख जाते हैं, जिससे किसानों की मेहनत और उम्मीद पर पानी फिर जाता है. मनरेगा अधिनियम के अनुसार कार्य के 15 दिन के भीतर मजदूरी का भुगतान किया जाना अनिवार्य है, लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद मजदूरी भुगतान लंबित है. लाभुकों को बार-बार प्रखंड कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ता है. पोड़ैयाहाट प्रखंड में मैटेरियल भुगतान से संबंधित करोड़ों रुपये का भुगतान लंबित है. इस वजह से लाभुक जोखिम उठाने से कतरा रहे हैं और मजबूरीवश बिचौलियों का सहारा लेते हैं, जिनका एकमात्र उद्देश्य मुनाफा कमाना होता है.
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