सरकारी दुकान के संचालन में सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है. एक तो पहले से ही जिले के शराब दुकानों में तय एमआरपी से ज्यादा पैसा वसूल करने का मामला हमेशा सुर्खियों में बना रहता है. इसके बाद अब शराब दुकान का देखरेख कर रहे संचालक व विभाग के अधिकारी के लिए नयी परेशानी खड़ी हो गयी है. वह इसलिए कि गोढ़ी स्थित शराब दुकान से एक संचालक द्वारा भारी भरकम राशि 36.46 लाख रुपये का गबन कर लिया है. यह गबन कई किस्तों में की गयी है. इस बाबत जिला उत्पाद निरीक्षक के निर्देश पर स्थानीय नगर थाना में मामला दर्ज करा दिया गया है. प्राथमिकी जिला स्तर पर देखरेख कर रहे लवलेश सिंह द्वारा दर्ज करायी गयी है. सरकारी शराब की दुकानों में अब तक की यह सबसे बड़ी गड़बड़ी है. इसके पहले इस प्रकार का मामला देखने को नहीं मिला था. नगर थाना में गबन के मामले में केस दर्ज किया गया है. मामला दर्ज कर पुलिस ने अनुसंधान प्रारंभ भी कर दिया है. मामले का कसूरवार अजीत मंडल को ठहराया गया है. मामला दर्ज होने के पहले से ही संचालक अजीत कुमार मंडल फरार है और स्वीच ऑफ है, जिसका उल्लेख जिला स्तर पर सरकारी दुकानों की देखरेख में लगे संचालक द्वारा अपने प्राथमिकी में किया गया है.
दुकानों की ऑडिट में पकड़ी गयी है गड़बड़ी
इस गड़बड़ी का खुलासा तब हुआ, जब जिले के शराब दुकानों का ऑडिट किया गया. तब जाकर पुरे मामले का पर्दाफाश हो सका. मामले का खुलासा होने के बाद जेएसबीएल कंपनी के संचालकों के हाथ-पैर फूलने लगे. साथ ही विभागीय अधिकारियों ने भी माथे पर हाथ रख लिया. भारी भरकम राशि के गबन के बाद विभागीय अधिकारियों ने तेजी से मामले को लेकर वरीय अधिकारी को लिखते हुए संचालक को गबन के मामले में केस दर्ज करने का आदेश दे दिया. इसके आलोक में नगर थाना में केस दर्ज किया गया.
कई स्तरों पर हुई है राशि की गड़बड़ी
अभी और दुकान के संचालन में पकड़ी जा सकती है वित्तीय अनियमितता
जानकारी के अनुसार अभी और भी दुकानों के संचालन में वित्तीय अनियमितता पकड़ी गयी है. परत दर परत इन मामलों का खुलासा किया जा रहा है. हालांकि कई जगह कम गड़बड़ी हुई है. ऐसे में विभागीय स्तर पर जमा कराये जाने का टाइम दिया गया है. नहीं होने पर उन दुकानों के संचालकों के ऊपर भी प्राथमिकी दर्ज करायी जा सकती है.
तय एमआरपी से अधिक रेट वसूलने में ही लगे रहते हैं स्टाफ
जिले में जितने भी शराब दुकान हैं, सभी जगह पर तय रेट से अधिक कीमत पर शराब व बियर की कीमतें वसूल की जाती है. पूरे दिन एक दुकान में लाखों की वसूली केवल एमआरपी से ज्यादा रुपये लेने से हो जाती है. जाहिर है कि इस राशि की बंदरबांट होती होगी. मामला हमेशा आता रहता है. इस अवैध से पूरा सिस्टम लगा रहता है. पूरे मामले में सबों की संलिप्तता रहती है. ऐसे में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं रहता है. किसी भी शराब दुकान के आगे शराब की कीमतों का चार्ट नहीं लगाया जाता है. हां अधिक रेट वसूल करने की जिम्मेवारी जरूरी सौंप दी जाती है. इसमें पूरा सिस्टम धृतराष्ट्र बन जाता है. अब जब बड़े स्तर पर राशि की गड़बड़ी हुई है, तो सबों के हाथ-पैर फूलने लगे हैं.
-नीलेश सिन्हा, सब इंस्पेक्टर, आबकारी विभाग, गोड्डा
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