वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा सके हैं रहस्य
बरसो पानी में नाग के फन के आकार का विशाल चट्टान है. इस चट्टान के नीचे वह जगह है जहां जोर से बरसो पानी कहने एवं ताली बजाने पर रिमझिम बारिश होने लगती है. ऐसा देख पर्यटक दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं. सबसे आश्चर्य की बात ये है कि इसके इर्द-गिर्द कहीं पानी का स्रोत नहीं है. कई देशों के पर्यटक और वैज्ञानिक यहां आ चुके हैं, लेकिन आज तक यह पता नहीं लग पाया है कि ताली बजाने से यहां बारिश कैसे होने लगती है?
बरसो पानी के बाद दामोदर नद का भी लोग करते हैं दर्शन
वैसे तो हर रोज यहां पर्यटकों का आगमन होता है, लेकिन नवंबर से लेकर फरवरी महीने तक लोगों की काफी भीड़ रहती है. बरसो पानी से 4 किमी दूर दामोदर नद है. यहां विभिन्न प्रकार की चट्टानें हैं, जो लोगों को आकर्षित करती हैं.
ठहरने की ये है व्यवस्था
बड़कागांव में चट्टी कुशवाहा एवं सूर्य मंदिर में कुशवाहा धर्मशाला में ठहरने की व्यवस्था है. मोहन होटल, रेंज ऑफिस के पास आराध्या होटल में ठहर सकते हैं.
कैसे जाएं बरसो पानी
हजारीबाग बस स्टैंड से बड़कागांव पहुंचें. यहां से बादम रोड सांढ़ होते हुए शिंबाडीह स्कूल मोड़ से सोनपुरा, महूदी आंगो तक पहुंचें. यहां तक पक्की सड़क है. झिकझोर से कच्ची सड़क होते हुए बरसो पानी पहुंच सकते हैं.
ये भी पढ़ें: Jharkhand Village: झारखंड का एक ऐसा गांव, जिसका नाम सुनते ही कांप जाएंगे आप
ये भी पढ़ें: Jharkhand Village Story: झारखंड का एक गांव बालुडीह, जहां अब ढूंढे नहीं मिलते बालू के कण
ये भी पढ़ें: Jharkhand Village Story: झारखंड का एक गांव, जिसका नाम बताने में लोगों को आती है काफी शर्म