पहले प्रयास में पास की सीडीएस की लिखित परीक्षा
शहीद कैप्टन के पड़ोसी शंकर प्रसाद ने बताया कि पहले प्रयास में सीडीएस की लिखित परीक्षा पास की थी. लेकिन उन्हें फिजिकल अनिफट कर दिया गया था. शारीरिक जांच टीम ने उनसे कहा कि हाथ सीधा नहीं है. इसके बाद करमजीत सिंह बक्शी मेडिकल एक्सपर्ट से मिल कर हाथ फैक्चर करा कर दूसरे प्रयास में सेना में भर्ती हो पाये.
सेना में भर्ती होने से पहले पिता से पूछा था ये सवाल
कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी के पिता अजिंदर सिंह बक्शी यह कह कर रो रहे थे कि जब वह सेना में भर्ती होने जा रहा था, तो हमसे पूछा था कि हमको सेना में जाने से कोई परेशानी तो नहीं होगी. इसके बाद मैंने उसे सेना में जाने के लिए रजामंदी दी थी. पड़ोसी महेश प्रसाद ने कहा कि करमजीत का मिलनसार स्वाभाव था, वह हमेशा याद आयेगा. जब भी मिलता, तो पैर छूकर ही आशीर्वाद लेता था.
झारखंड की खबरें यहां पढ़ें
घर का कोहिनूर चला गया : चाचा अमरदीप
चाचा अमरदीप ने कहा कि मेरा घर का कोहिनूर चला गया. जब भी वह हमसे मिलता, पैर छूकर ही बात करता था. उसने कहा था कि चाचा मैं ऐसा कर दिखाऊंगा, जिससे सारा देश हम पर गर्व करेगा. मैं ऐसी पोस्ट पर बैठूंगा, जिस पर आप लोग भी गर्व करेंगे. उन्होंने कहा कि मुझे पता नहीं था कि उसे शहीद वाला पोस्ट मिलने वाला है.
Also Read: शहीद कैप्टन करमजीत: इकलौते बेटे के सिर पर सजना था सेहरा, तिरंगे में लिपटा देख बोलीं मां-बोले सो निहाल