बरही. होली रंगों के साथ एक शालीन त्योहार है, लेकिन इस त्योहार में अश्लील व फूहड़ गानों ने रंग में भंग कर रखा है. जिधर देखिये फूहड़ गीतों की बौछार है, जबकि समाज के पास एक से बढ़ कर एक परंपरागत होली के गीतों का कलेक्शन है. जिन्हे सुन कर मन मस्ती और उमंग से भर जाता है. बरही में होरी, झुमटा, फागुवा, चौपदी, चैता, चैतरी, जोगिड़ा गाने वाले ग्रामीण कलाकार हैं, जिन्हें सड़क पर बजते अश्लील होली गाने सुन कर शर्मिंदगी महसूस हाेती है. ग्रामीण होली गायक विजय साहू, राजेंद्र साव, राजदेव यादव, दिनेश पांडेय, रघु यादव, बसंत माली, संतोष पंडित, राजेंद्र शाह अपील कर रहे हैं कि सभी होली में परंपरागत शालीन गानों को अपनायें व अशील गानों का खुल कर विरोध करें.
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