हजारीबाग जिले में संग्रहालय की आवश्यकता, अनमोल धरोहर हो रहे बर्बाद
हजारीबाग जिले के विभिन्न प्रखंडों में संग्रहालय के अभाव में अनमोल कलाकृतियां व ऐतिहासिक धरोहर खुले आसमान के नीचे बर्बाद हो रही हैं.
By PRAVEEN | May 17, 2025 9:16 PM
जयनारायण़ हजारीबाग जिले के विभिन्न प्रखंडों में संग्रहालय के अभाव में अनमोल कलाकृतियां व ऐतिहासिक धरोहर खुले आसमान के नीचे बर्बाद हो रही हैं. जिले के चौपारण प्रखंड के दैहर, बड़कागांव के काली बलोदर, पंकरी बरवाडीह सहित कई अन्य स्थानों पर प्राचीन मूर्तियां और कला के अद्भुत नमूने खुले आसमान के नीचे बिखरे पड़े हैं, जिन्हें संरक्षण की आवश्यकता है. बाहरी तत्वों के संपर्क में आकर कीमती धरोहर को नुकसान हो रहा है. पिछले दिनों हजारीबाग शहर से सटे बहोरनपुर पुरातत्व खुदाई स्थल से दर्जनों मूर्तियां पटना संग्रहालय ले जायी गयीं. यदि जिले में संग्रहालय बनाया जाये, तो बिखरी पड़ी मूर्तियां व कलाकृतियां हजारीबाग की सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को अपने इतिहास के प्रति जागरूक करने में महत्वपूर्ण योगदान देंगी. ये कलाकृतियां हमारे पूर्वजों की बुद्धिमता, कला और संस्कृति का परिचय देने में अहम भूमिका निभायेंगी.
केस स्टडी 1: गुरहेत पंचायत की खुदाई
केस स्टडी 2: चौपारण दैहर की ऐतिहासिक धरोहर
केस स्टडी 3: बड़कागांव बलोदर और पकरी बरवाडीह
बड़कागांव बलोदर और पकरी बरवाडीह में दर्जनों पुरानी मूर्तियां खुले आसमान में बर्बाद हो रही हैं. काली बलोदर गांव में इन मूर्तियों को गवात के नाम पर पूजा जाता है. ये मूर्तियां भगवान बुद्ध की प्रतीत होती हैं. बड़कागांव के पकरी बरवाडीह से 500 मीटर की दूरी पर तालाब के पास पंचपदा पहाड़ पर भी पुरानी मूर्तियां बिखरी हुई हैं. इन मूर्तियों की रखवाली ग्रामीण खुद कर रहे हैं. इनमें कई मूर्तियां भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म से जुड़े देवी-देवताओं की हैं.
विशेषज्ञों की राय
विनोबा भावे विश्वविद्यालय के प्रो डॉ विकास कुमार ने कहा कि हजारीबाग शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है. जिले में पाषाण काल और मध्यकाल से जुड़े कई ऐतिहासिक धरोहर जमीन के नीचे दबे और ऊपर बिखरे हुए हैं. इन्हें संजोने की जरूरत है. जिले में संग्रहालय बनाने की आवश्यकता है. संग्रहालय अतीत की खिड़कियां खोलने के साथ-साथ भविष्य की पीढ़ियों के लिए इतिहास, संस्कृति और रचनात्मकता को संरक्षित करने में मदद करेगा. विश्वविद्यालय इसमें अहम भूमिका निभायेगा. संत कोलंबस कॉलेज इतिहास विभाग के प्रो डॉ शत्रुधन कुमार पांडेय ने कहा कि हजारीबाग प्रमंडल के आसपास काफी मात्रा में पुरानी मूर्तियां व कलाकृतियां मिल रही हैं. यहां की स्थानीय कला कृतियों को रखने के लिए संग्रहालय का अभाव है. चार साल पहले मैंने विनोबा भावे विश्वविद्यालय को बौद्ध स्टडी सेंटर और संग्रहालय खोलने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन आज तक इस पर कोई अमल नहीं हुआ. हजारीबाग के पुराने समाहरणालय भवन में जिला प्रशासन यदि चाहे तो संग्रहालय विकसित कर सकता है. यह भवन भी ऐतिहासिक धरोहर है.
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